नई दिल्ली : देश के कई हिस्सों में सालों से जाकिर नाईक के चैनल ‘पीस टीवी’ का प्रसारण बिना प्रसारण लाइसेंस के ही हो रहा था. अब पता चला है कि इसके पास तो भारत में प्रसारण का लाइसेंस ही नहीं है. इसके बावजूद देश के कई इलाकों में ये चैनल केबल टीवी के जरिये धड़ल्ले से देखा जाता रहा है.
‘पीस टीवी’के सिग्नल दुबई से अपलिंक होते हैं. जहां से इसे भारत और बांग्लादेश समेत दुनिया भर के दो सौ देशों में देखा जाता है. ‘पीस टीवी’ पहले सिर्फ अंग्रेजी और उर्दू में प्रसारित होता था, लेकिन अप्रैल 2011 से इसका प्रसारण बांग्ला भाषा में भी हो रहा है.
मुंबई के कई मुसलिम बहुल इलाकों में लोकल केबल ऑपरेटर गैरकानूनी तरीके से ‘पीस टीवी’ का प्रसारण कर रहे थे, लेकिन डॉ.जाकिर नाईक के विवादों में आने के बाद से अचानक इस चैनल का प्रसारण बंद कर दिया गया.
कई इलाकों में ‘पीस टीवी’ दिखना अब भले ही बंद हो गया हो, लेकिन जाकिर नाईक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ने एक ऐप निकाला है, जिससे मोबाइल फोन पर ‘पीस टीवी’ देखा जा सकता है. ‘पीस टीवी’ के तमाम कार्यक्रम यूट्यूब पर भी अपलोड होते हैं.
डॉक्टर जाकिर नाईक चैनल का नाम भले ही ‘पीस टीवी’ है, लेकिन उनके विरोधी मानते हैं कि इस चैनल के जरिये वो अमन का नहीं बल्कि फसाद का पैगाम देते हैं, जहर उगलते हैं. न केवल दूसरे धर्मों के खिलाफ बल्कि मुसलिमों के दूसरे संप्रदायों के खिलाफ भी.
भारत में रजिस्ट्रेशन या सूचना-प्रसारण मंत्रालय से लाइसेंस लिए बिना ‘पीस टीवी’ का प्रसारण गैरकानूनी है. सरकार देश में इसे दिखाने वालों के खिलाफ Cable Tv Network Regulation Act 2011 के तहत कार्रवाई कर सकती है.
कांग्रेस सवाल उठा रही है कि सरकार गैरकानूनी तरीके से ‘पीस टीवी’ दिखाए जाने पर रोक लगाने में ढिलाई क्यों बरत रही है. रजा अकादमी नाम के मुसलिम संगठन ने भी ‘पीस टीवी’दिखाने वाले केबल ऑपरेटरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और भारत में इस चैनल का प्रसारण पूरी तरह रोकने की मांग की है.
विवादों की वजह से अब भले ही ‘पीस टीवी’ का प्रसारण रोकने के लिए सरकार कड़े कदम उठा ले, लेकिन इसके बरसों से जारी गैरकानूनी प्रसारण ने देश में टीवी चैनलों के रेगुलेशन से जुड़ी व्यवस्था की बड़ी खामी को उजागर तो कर ही दिया है.