नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अध्यक्ष यासीन मलिक को राज्य में आतंकी और अलगाववादी समूहों की फंडिग से जुड़े एक मामले में 24 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राकेश सियाल के सामने मलिक को पेश करते समय तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने गुहार लगाई कि सुरक्षा कारणों के चलते मलिक को वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत के समक्ष पेश किया जाए।
मलीक को एनआईए ने 10 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। वर्ष 2017 में घाटी में हिंसा होने के बाद एजेंसी ने आतंकी फंडिग से जुड़े मामले पर केस दर्ज किया था।
अब तक, एजेंसी ने कई अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार किया है, जिनमें आफताब हिलाली शाह उर्फ शाहिद-उल-इस्लाम, अयाज अकबर खांडे, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, नईम खान, अल्ताफ अहमद शाह, राजा महराजुद्दीन कलवाल और बशीर अहमद भट उर्फ पीर सैफुल्ला शामिल हैं।
अल्ताफ अहमद शाह, सैयद अली गिलानी के दामाद हैं, जो जम्मू और कश्मीर के पाकिस्तान में विलय की वकालत करते हैं।
शाहिद-उल-इस्लाम डार के सहयोगी हैं और खांडे गिलानी के नेतृत्व वाले हुर्रियत के प्रवक्ता हैं। कश्मीरी व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली को अगस्त 2017 में गिरफ्तार किया गया था।
आतंकवाद-रोधी एजेंसी ने 18 जनवरी, 2018 को लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन सहित 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।