डेस्क : अमेरिका में जैसे-जैसे नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के शपथ लेने के दिन नजदीक आ रहे हैं वैसे ही मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थक ज्यादा हमलावर हो रहे हैं। इस सियासी खींचतान की वजह से बुधवार को ट्रंप समर्थकों ने व्हाइट हाउस और कैपिटल बिल्डिंग के बाहर हंगामा किया।
वहीं 52 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया है। घटना को देखते हुए वाशिंगटन डीसी में कर्फ्यू लगा दिया गया है। जहां भारी पुलिसबलों की तैनाती की गई है। इस हिंसा के बाद ट्रंप के दो सहायकों ने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, जॉर्ज डब्ल्यू बुश समेत भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना की निंदा की है। पीएम मोदी ने अपने बयान में कहा है कि वो अमेरिका में हुई हिंसक झड़प की खबर से काफी दुखी हैं। सत्ता का हस्तांतरण बेहद शांत और खुशनुमा माहौल में पूरा किया जाना चाहिए। लोकतंत्र में इस तरह की घटनाओं की कोई जगह नहीं है।
इस घटना के बाद सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम ने कुछ समय के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट सस्पेंड कर दिया है। बाइडन ने कहा कि वो संविधान की रक्षा करें और इस तरह की घेराबंदी को खत्म करें। उन्होंने ट्रंप समर्थकों के हंगामे को भी अमेरिकी संविधान पर हमला करार दिया है। उन्होंने इसको अमेरिकी इतिहास का बुरा दिन बताया है।
बाइडन ने कहा है कि कुछ लोग न सिर्फ चुनाव के परिणाम को नहीं मान रहे हैं बल्कि कानून की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं। एक तरफ जहां बाइडन ने ट्रंप को अपने समर्थकों को शांत करने की अपील की है वहीं ट्रंप ने कहा है कि वो हार नहीं मानने वाले हैं।
आपको बता दें 20 जनवरी को जो बाइडन को अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेनी है। अमेरिकी इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब राष्ट्रपति चुनाव को लेकर इतना हंगामा हुआ है और इस तरह की हिंसा हुई है। ट्रंप ने अपने समर्थकों से कहा है कि वो केवल शांतिपूर्ण प्रदर्शन करें हिंसा न करें। उन्होंने चुनाव में अपनी हार मानने से साफ इनकार कर दिया है।
ट्रंप ने उपराष्ट्रपति माइक पेंस से यहां तक कहा है वो राज्यों से आए चुनाव परिणामों को वापस भेज दें। हालांकि पेंस ने इस बारे में साफ कर दिया है कि ट्रंप को इसका अधिकार नहीं है। इसके बाद ट्रंप ने पेंस पर हमलावर होते हुए कहा है कि संविधान की रक्षा के लिए पेंस को जो करना चाहिए था वो उन्होंने नहीं किया। राज्यों को चुनाव परिणामों के तथ्यों को प्रमाणित करने का मौका मिलना चाहिए। अमेरिकी जनता इस चुनाव परिणाम का सच जानना चाहती है।
गौरतलब है कि बुधवार को अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र में निर्वाचक मंडल के मतों की गणना और उन्हें प्रमाणित करने की प्रकिया शुरू हुई थी। इस पर एरिजोना के रिपब्लिकन सांसदों ने आपत्ति जताई थी। इसके आधार पर उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने सीनेट के संयुक्त सत्र की कार्यवाही स्थगित कर दी थी। उन्होंने आपत्तियों पर दोनों सदनों के सदस्यों को बहस के लिए दो घंटे का समय भी दिया था। इसके बाद हंगामा शुरू हो गया।