Rajpath Desk : रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि उनके वैज्ञानिकों ने ऐसी वैक्सीन तैयार कर ली है जो कोरोना वायरस के खिलाफ कारगर है। उनके इस दावे के बाद दुनिया भर के देश अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। भारत के सबसे बड़े अस्पताल एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि देश में भी रूस में बनी वैक्सीन को उतारने से पहले सुरक्षा के लिहाज से इसके असर को आंका जाएगा।
उन्होंने कहा कि अगर रूस की वैक्सीन सफल होती है, तो हमें बारीकी से ये देखना होगा कि ये सुरक्षित और प्रभावी है। इस वैक्सीन के कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होने चाहिएं और इससे मरीज अच्छी प्रतिरोधक क्षमता और सुरक्षा मिले। अगर ये वैक्सीन सही साबित होती है तो भारत के पास बड़ी मात्रा में इसके निर्माण की क्षमता है। आईसीएमआर और भारत बायोटेक के सहयोग से विकसित की जा रही वैक्सीन का पहली और दूसरी स्टेज का मानवीय परीक्षण चल रहा है, जबकि यही स्थिति जायडस कैडिला की ओर से बन रही वैक्सीन की भी है।
रूस के राष्ट्रपति के अनुसार इस टीके का इंसानों पर दो महीने तक परीक्षण किया गया और ये सभी सुरक्षा मानकों पर खरा उतरा है। इस वैक्सीन को रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी मंज़ूरी दे दी है। लेकिन रूस अकेला देश नहीं है जो वैक्सीन बनाने में लगा है। 100 से भी अधिक वैक्सीन शुरुआती स्टेज में हैं और 20 से ज़्यादा वैक्सीन का मानव पर परीक्षण हो रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अंतर्गत आने वाले पैन-अमैरिकन हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन के सहायक निदेशक जरबास बारबोसा ने कहा कि ब्राजील वैक्सीन बनाना शुरू करेगा लेकिन जब तक और ट्रायल पूरे नहीं हो जाते ये नहीं किया जाना चाहिए।
वैक्सीन बनाने वाले किसी को भी इस प्रक्रिया का पालन करना है जो कि ये सुनिश्चित करेगा कि वैक्सीन सुरक्षित है और डब्लूएचओ ने उसकी सिफारिश की है। पिछले हफ्ते डब्लूएचओ ने रूस से आग्रह किया था कि वो कोरोना के ख़िलाफ़ वैक्सीन बनाने के लिए वो अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन का पालन करे।