नई दिल्ली : शैक्षणिक प्रदर्शन सूचकांक (एपीआई) स्कोर मानदंड में किए गए बदलावों के खिलाफ प्रदर्शनकारी कॉलेज शिक्षकों की मांगों के आगे झुकते हुए यूजीसी ने प्रत्यक्ष शिक्षण समयावधि कार्यभार (डायरेक्ट टीचिंग ऑवर्स वर्कलोड) को बहाल कर दिया।
उच्च शिक्षा सचिव वीएस ओबेरॉय ने बताया कि प्रत्यक्ष शिक्षण कार्यभार को सहायक प्रोफेसरों, एसोसिएट प्रोफेसरों और प्रोफेसरों के लिए क्रमश: 16, 14, 14 घंटे बहाल कर दिया गया है। यूजीसी के नियमों में जरूरी संशोधनों के जरिए यह किया गया। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि एपीआई और कार्यभार मानदंड के कारण शिक्षकों की छंटनी नहीं होगी। इनमें वे शिक्षक भी शामिल हैं जो ‘एड-हॉक’ आधार पर पढ़ाते हैं।
यूजीसी के सदस्य के तौर पर भी सेवाएं दे रहे ओबेरॉय ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी यूजीसी की इन सिफारिशों को मंजूरी देने का फैसला किया। आयोग की एक बैठक में आज इसे मंजूरी दी गई। यूजीसी के अध्यक्ष वेद प्रकाश और सचिव जसपाल एस संधु भी संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थे।
ओबेराय ने कहा कि यह फैसला हुआ है कि सीधे शिक्षण घंटों में लेक्चर और परियोजना निगरानी के अलावा पाठन, प्रयोग, क्षेत्र कार्य शामिल होगा। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर और शिक्षकों द्वारा मार्गदर्शन (मेंटरिंग) को भी सीधे शिक्षण स्कोर की गणना के वक्त देखा जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के लिए छात्रों की प्रतिक्रिया का प्रावधान अब भी जारी रहेगा।
आपको बताते चलें कि यूजीसी ने हाल में एपीआई मानदंड में बदलाव किया था जिसका शिक्षक संघों ने विरोध किया था क्योंकि उन्हें डर था कि इससे उनकी नौकरी जा सकती है और उन्होंने कहा था कि यह शिक्षण अनुकूल नहीं है।