रचना प्रियदर्शिनी : सिपाही भर्ती फॉर्म में नहीं है ट्रांसजेंडर कॉलम इसकी वजह से करीब 32 हजार ट्रांसजेंडर्स परीक्षा से वंचित रह जाएंगे. कहने को तो बिहार सरकार आये दिन विभिन्न मंचों पर टांसजेंडर कल्याण को प्राथमिकता देने की बात करती है. इसके लिए बिहार में देश के सबसे किन्नर कल्याण बोर्ड का गठन भी किया गया है. बावजूद इसके समय-समय पर राज्य सरकार की नीतियों एवं योजनाओं में कही-न-कहीं कुछ ऐसा दिख ही जाता है, जिससे ट्रांसजेंडर समुदाय के कल्याण को लेकर राज्य सरकार के प्रयास संदेह के घेरे में आ जाते हैं.
नया मामला बिहार राज्य में होनेवाले सिपाही भर्ती परीक्षा फॉर्म में ट्रांसजेंडर कॉलम का न होना है. गौरतलब है कि बिहार पुलिस में सिपाही के 8415 पदों के लिए केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) ने आवेदन आमंत्रित किया गया है. पर्षद द्वारा जारी विज्ञापन के अनुसार बिहार पुलिस, बिहार सैन्य पुलिस, विशेषीकृत इंडिया रिजर्व वाहिनी, बिहार राज्य औद्योगिक सुरक्षा वाहिनी के लिए भर्ती की जायेगी.
करीब 32 हजार ट्रांसजेंडर्स परीक्षा में शामिल होने से रह जायेंगे वंचित, शिक्षित ट्रांसजेंडर्स में सरकार के इस निर्णय को लेकर है आक्रोश
इसके लिए अभ्यर्थियों से 13 नवम्बर से 14 दिसंबर 2020 के बीच ऑनलाइन आवेदन मांगे गए हैं, लेकिन अफसोस कि इनमें से एक भी पद ट्रांसजेंडर्स के लिए आरक्षित नहीं हैं. इस वजह से राज्य भर के करीब 3200 ट्रांसजेंडर्स सिपाही बनने से वंचित रह जायेंगे. ट्रांसजेंडर्स के लिए कार्यरत गैर-सरकारी संस्था ‘दोस्ताना सफर’ की प्रमुख रेशमा प्रसाद की मानें, तो बिहार में ट्रांसजेंडर्स की कुल संख्या करीब 40 हजार है. इनमें से आठ फीसदी ट्रांसजेंडर्स 18-32 वर्ष की उम्र के हैं और 12वीं उत्तीर्ण हैं.
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उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रांसजेंडर्स को तृतीय लिंग के रूप में स्वीकृति प्रदान करते हुए उनके लिए पिछड़ी जाति के लिए निर्धारित आरक्षण सूची में शामिल माना. हालांकि यह आरक्षण आज तक लागू नहीं हुआ. वर्ष 2019 में संसद द्वारा ट्रांसजेंडर एक्ट पारित करते हुए इस संबंध में नीति निर्धारण किया गया था.
वर्ष 2015 में उच्च न्यायालय द्वारा राज्य के सभी शैक्षिक संस्थाओं के आवेदन में ट्रांसजेंडर कॉलम शामिल करने का निर्देश दिया गया. इन तमाम प्रावधानों के बावजूद आज भी राज्य में निवास करनेवाले ज्यादातर ट्रांसजेंडर्स अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित है, जिस वजह राज्य सरकार की नीतियों एवं ट्रांसजेंडर हित के प्रति उसकी कोशिशों पर सवाल उठना लाजिमी है. फिलहाल सिपाही बहाली परीक्षा में ट्रांसजेंडर कॉलम शामिल करने की मांग को लेकर ट्रांसजेंडर वीरा यादव ने पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की है.