रचना प्रियदर्शिनीः देश का सर्वाधिक साक्षर राज्य कहा जाने वाला केरल इन दिनों सुर्खियों में है क्योंकि राज्य में पहली बार चुनाव लड़ रहीं ट्रांसजेंडर अनन्या कुमारी एलेक्स ने अब चुनाव ने अपना नाम वापस ले लिया है. अब वह चुनाव नहीं लड़ रही हैं. इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि विरोधी पार्टियों द्वारा उन्हें वेश्या के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है और उन्हें मारने की धमकी भी दी गयी है.
अनन्या की मानें, तो डेमोक्रेटिक सोशल जस्टिस पार्टी (DSJP) नेताओं ने उन्हें यूडीएफ उम्मीदवार पीके कुन्हालीकुट्टी के बारे में गलत बोलने और एलडीएफ सरकार की आलोचना के लिए मजबूर किया. साथ ही उन्हें गंभीर मानसिक यातना भी दी गयी है. यही नहीं, उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान पर्दा लगाने के लिए भी मजबूर किया था. इस तरह के उत्पीड़न के बाद अनन्या ने फैसला किया कि वह अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं करेंगी. इसी के साथ उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है.
हालांकि सूत्रों की मानें, तो अनन्या के चुनाव लड़ने पर अभी सस्पेंस ही बरकरार रहेगा, क्योंकि भले ही उन्होंने चुनाव ना लड़ने का फैसला लिया हो, लेकिन नॉमिनेशन को वापस लेने की तारीख निकल चुकी है. अनन्या ने अपनी तरफ से चुनाव प्रचार खत्म कर दिया है.
मालाप्पुरम की वेंगरा सीट से नामांकन किया था दाखिल
अनन्या ने पूर्व में डेमोक्रेटिक सोशल जस्टिस पार्टीकी ओर से मालाप्पुरम की वेंगरा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था. इस सीट को मुस्लिम लीग का गढ़ माना जाता है. इस सीट पर अनन्या का मुकाबला मुस्लिम लीग के कद्दावर नेता पीके कुन्हाली कुट्टी और राज्य के मुख्यमंत्री पी विजयन की पार्टी एलडीएफ के उम्मीदवार पी जिजि को कड़ी टक्कर दे रही थीं.
हाल ही में एक ऑनलाइन न्यूज पोर्टल से बात करते हुए अनन्या ने बताया कि वह एक ऐसे समुदाय की आवाज बनने की कोशिश कर रही हैं, जिसे हाशिए पर धकेल दिया गया है.
उनके अनुसार ”ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लोगों में लीडरशिप क्वालिटी की कमी नहीं है. हम किसी भी आम इंसान की तरह ही समाज को आगे बढ़ा सकते हैं और इसका नेतृत्व कर सकते हैं. मैं यही साबित करना चाहती हूं. जब आप जेंडर इक्वालिटी की बात करते हैं तो आप स्त्री और पुरुष की ही बात करते हैं. कोई भी ट्रांसजेंडर और उनके अधिकारों की बात नहीं करता है. हमें स्त्री, पुरुष और ट्रांसजेंडर्स तीनों की समान स्तर पर लाने की जरूरत है.”
अनन्या का कहना है कि भले ही चुनाव लड़ने का मेरा फैसला ऐतिहासिक हो और इसका फायदा भले उन्हें खुद न मिले, लेकिन वह चाहती हैं कि इसका फायदा आने वाले वक्त में ट्रांसजेंडर समुदाय को मिलेगा, लेकिन अब उनका कहना है कि ”मुझे उम्मीदवार बनाने का फैसला पार्टी का था, बल्कि मेरा नहीं. मुझे डेमोक्रेटिक सोशल जस्टिस पार्टी के नेताओं द्वारा इस्तेमाल किया गया. मेरे पास अपना एक व्यक्तित्व है और मेरी अपनी राय भी है. मैं आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार नहीं हूं.”
केरल की पहली रेडियो जॉकी भी रह चुकी हैं
बता दें कि 28 वर्षीया अनन्या मूलतः कोल्लम की रहने वाली हैं और पेशे से मेकअप आर्टिस्ट हैं. वह केरल की पहली रेडियो जॉकी भी रह चुकी हैं. मलयालम, इंग्लिश, हिंदी, तमिल और कन्नड़ भाषाओं की जानकार अनन्या ने कुछ वक्त पहले केरल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल को भी होस्ट किया था.
अनन्या जब पैदा हुईं, तब तन तो उन्हें लड़के का मिला, लेकिन मन से वो लड़की थीं. उन्हें लड़कियों जैसे कपड़े पहनना, उनके साथ बातें करना, उनकी तरह सजना-संवरना अच्छा लगता था. इसके लिए परिवारवालों और रिश्तेदारों से उन्हें डांट पड़ती थी. अनन्या की मानें, तो जेंडर आइडेंटिटी को लेकर अनन्या को काफी कुछ झेलना पड़ा. लोग उनके हाव-भाव और व्यवहार को लेकर उन्हें काफी ज्यादा परेशान करते थे. इसकी वजह से 12वीं के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई और 18 की उम्र में घर छोड़ दिया था. अपना पेट पालने के लिए अनन्या ने भीख मांगी, सीवर साफ किया और पेट्रोल पंप में भी काम किया.
अनन्या का कहना है कि वह महिलाओं और ट्रांसजेंडर्स के लिए एक सुरक्षित समाज बनाना चाहती हैं. साथ ही, वह अपनी पढ़ाई भी पूरी करना चाहती हैं. उनका मानना है कि शिक्षा से ही किसी समुदाय को पहचान मिलती है और उसमें आत्म सम्मान की भावना आती है.