रांची। झारखंड में टमाटर की कीमतों में भारी उछाल आया है। टमाटर बाजार में 80 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जा रहा है।
कुछ महीने पहले टमाटर की कीमतें 3 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिरने के कारण राज्य के किसान इन्हें सड़कों पर फेंक रहे थे।
डेजी कुमारी नामक एक गृहिणी ने कहा, हरी सब्जियों की कीमतें खासकर, टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं। जनवरी और फरवरी में हम टमाटरों को तीन से पांच रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीद रहे थे। पिछले महीने इसकी कीमत 50 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंची और अब यह बाजार में 80 से 100 प्रति किलोग्राम की दर पर मिल रहा है।
टमाटर के अलावा फ्रेंच बीन्स और शिमला मिर्च की कीमतें भी 100 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई हैं।
किसानों का कहना है, झारखंड में प्रत्येक वर्ष टमाटर का भारी उत्पादन होता है, लेकिन सब्जी को सड़कों पर फेंका गया क्योंकि लोगों के पास शीतगृहों की सुविधाओं की कमी थी और राज्य सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं थी।
टमाटर उत्पादक सारथी महतो ने आईएएनएस से कहा, हमें राज्य सरकार की ओर से कोई समर्थन नहीं मिला.. यहां तक की हम इस वर्ष सब्जियों की परिवहन लागत भी निकालने में असमर्थ रहे जिसके कारण हमें टमाटरों को सड़कों पर फेंकना पड़ा। टमाटर को बाजार में बेचने के लिए ले जाने व वापस लाने की कीमत इनके उत्पादन की कीमत से ज्याद पड़ रही थी।
किसानों ने कहा कि अगर टमाटरों को शीतगृहों में सुरक्षित नहीं रखा जाता है तो ये सड़ने लगते हैं।
नंदलाल मुंडा नामक किसान ने कहा, किसानों की जिंदगियां बदली जा सकती थीं, यदि राज्य सरकार इनके (टमाटरों) संरक्षण का इंतजाम करती। झारखंड उन राज्यों में है, जहां अच्छी गुणवत्ता के टमाटर और मटर की पैदावार की जाती है। लेकिन, किसानों को उनके मुताबिक बाजार नहीं मिल रहा है।
इस वर्ष कर्ज के कारण झारखंड में चार किसानों ने आत्महत्या की है।
कुछ महीने पहले टमाटर की कीमतें 3 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिरने के कारण राज्य के किसान इन्हें सड़कों पर फेंक रहे थे।
डेजी कुमारी नामक एक गृहिणी ने कहा, हरी सब्जियों की कीमतें खासकर, टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं। जनवरी और फरवरी में हम टमाटरों को तीन से पांच रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीद रहे थे। पिछले महीने इसकी कीमत 50 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंची और अब यह बाजार में 80 से 100 प्रति किलोग्राम की दर पर मिल रहा है।
टमाटर के अलावा फ्रेंच बीन्स और शिमला मिर्च की कीमतें भी 100 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई हैं।
किसानों का कहना है, झारखंड में प्रत्येक वर्ष टमाटर का भारी उत्पादन होता है, लेकिन सब्जी को सड़कों पर फेंका गया क्योंकि लोगों के पास शीतगृहों की सुविधाओं की कमी थी और राज्य सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं थी।
टमाटर उत्पादक सारथी महतो ने आईएएनएस से कहा, हमें राज्य सरकार की ओर से कोई समर्थन नहीं मिला.. यहां तक की हम इस वर्ष सब्जियों की परिवहन लागत भी निकालने में असमर्थ रहे जिसके कारण हमें टमाटरों को सड़कों पर फेंकना पड़ा। टमाटर को बाजार में बेचने के लिए ले जाने व वापस लाने की कीमत इनके उत्पादन की कीमत से ज्याद पड़ रही थी।
किसानों ने कहा कि अगर टमाटरों को शीतगृहों में सुरक्षित नहीं रखा जाता है तो ये सड़ने लगते हैं।
नंदलाल मुंडा नामक किसान ने कहा, किसानों की जिंदगियां बदली जा सकती थीं, यदि राज्य सरकार इनके (टमाटरों) संरक्षण का इंतजाम करती। झारखंड उन राज्यों में है, जहां अच्छी गुणवत्ता के टमाटर और मटर की पैदावार की जाती है। लेकिन, किसानों को उनके मुताबिक बाजार नहीं मिल रहा है।
इस वर्ष कर्ज के कारण झारखंड में चार किसानों ने आत्महत्या की है।