रचना प्रियर्दशिनीः
न्यूजीलैंड निवासी 43 वर्षीया लॉरेल हबर्ड दुनिया की पहली ऐसी ट्रांस एथलीट बन चुकी हैं, जो किसी ओलंपिक प्रतियोगिता का हिस्सा बनने जा रही हैं. लॉरेल हबर्ड एक वेटलिफ्टर हैं, जिनका चयन इस वर्ष आयोजित टोक्यो ओलंपिक के लिए किया गया है. वह उन पांच भारोत्तोलकों में शामिल है, जिन्हें गत सप्ताह टोक्यो के लिए चुनी गयी न्यूजीलैंड की टीम में शामिल किया गया.
बता दें कि वर्ष 2013 में भी लॉरेल ने ओलंपिक में हिस्सा लिया था. उस वक्त उन्हें पुरुष वर्ग में एंट्री मिली थी, लेकिन इस बार वह 185 किलोग्राम का वजन उठाकर महिलाओं के 87 किलोग्राम वर्ग में टोक्यो ओलंपिक के महिला सुपर-हेवी वेट वर्ग में अपनी जगह बनाने में कामयाब हुईं हैं. यही नहीं, वह 43 साल की उम्र में इन खेलों में सबसे उम्रदराज भारोत्तोलक भी होंगी.
हबर्ड ने वर्ष 2017 विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक और वर्ष 2019 में समोआ में आयोजित प्रशांत क्षेत्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीता है. उसने 2019 राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया था, लेकिन वह गंभीर तरीके से चोटिल होने की वजह से वह फाइनल राउंड तक नहीं पहुंच पायीं.

हबर्ड ने वर्ष 2017 विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक और वर्ष 2019 में समोआ में आयोजित प्रशांत क्षेत्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीता है. उसने 2019 राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया था, लेकिन वह गंभीर तरीके से चोटिल होने की वजह से वह फाइनल राउंड तक नहीं पहुंच पायीं.

उल्लेखनीय है कि हबर्ड ने आठ वर्षों पूर्व अपना लिंग परिवर्तन करवाया था. इसके बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक एथलीटों के निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के लिए बने नियमों और सभी आवश्यकताओं को पूरा किया है. आइओसी नीति में शर्तों के साथ पुरुष से महिला बनने वालों को महिला वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति है.
अपने इस चयन पर खुशी तथा आभात जताते हुए लॉरेल कहती हैं- ”न्यूजीलैंड के लोगों से मुझे जो समर्थन मिला है, मैं उसके लिए सदा अभारी हूं. तीन साल पहले राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान जब मेरा हाथ फ्रैक्चर हुआ था, तो कहा गया था कि मेरा करियर समाप्त हो सकता है. बावजूद इसके आप सबके समर्थन, प्रोत्साहन और प्यार ने मुझे अंधेरे से बाहर निकाला.”