कोलकाता : नागरिकता अधिनियम, 1955 में प्रस्तावित संशोधन को धर्मनिरपेक्ष सामाजिक ताने-बाने पर हमला करार देते हुए पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने आज कहा कि वह संसद में इसका जबर्दस्त विरोध करेगी।
तृणमूल सांसद सौगत राय ने कहा कि हमने तय किया है कि हम संसद के सदन में इस संशोधन का विरोध करेंगे। यह संशोधन हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष सामाजिक ताने-बाने पर एक हमला है। कैसे धर्म के आधार पर भेदभाव हो सकता है?’ उन्होंने कहा कि यदि आप हिंदू हैं तो आप पात्र होंगे और यदि आप मुसलमान हैं तो आपको बाहर रखा जायेगा। हमारा संविधान इसकी इजाजत नहीं देता। पश्चिम बंगाल सरकार भी इसका विरोध करेगी।
नागरिकता अधिनियम, 1955 का प्रस्तावित 2016 संशोधन विधेयक फिलहाल संसद की संयुक्त प्रवर समिति के पास विचाराधीन है जिसके राय सदस्य हैं। इस समिति के अन्य तृणमूल सदस्य राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि हम प्रस्तावित संशोधनों के बिल्कुल विरूद्ध हैं। केंद्र सरकार ने इस अधिनियम में संशोधन के लिए पिछले जुलाई में संसद में एक विधेयक पेश किया ताकि दूसरे देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश) के हिंदुओं, सिखों और अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जा सके, यदि उनके पास जरूरी दस्तावेज नहीं हो तो भी।