नई दिल्ली : मॉनसून के बाद भी दिल्ली में पॉल्यूशन लगातार हाई लेवल पर है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक स्टडी के मुताबिक, बेशक मॉनसून के बाद कुछ जगहों पर जैसे उत्तर प्रदेश में वाराणसी और हरियाणा के शहर फरीदाबाद में हवा की क्वालिटी अच्छी हो गई है, लेकिन दिल्ली में उस लेवल पर नहीं पहुंची है, जिसे लोगों के लिए सेफ माना जा सके.
इस साल मॉनसून के दौरान अमेरिकी दूतावास की ओर से इसी तरह की प्रकाशित एक रपट के बाद यह सर्वे किया गया.
सर गंगाराम अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनल मेडिसिन के डायरेक्टर एस.पी. बयोत्रा ने कहा कि मॉनसून के बाद अक्सर एयर पॉल्यू्शन के लेवल में सुधार होता है, क्योंकि बारिश से धूल कणों को साफ करने में मदद करती है. हालांकि धुआं बारिश से शायद ही प्रभावित होता हैं. यही वजह है कि वाराणसी की तुलना में दिल्ली की एयर क्वालिटी में सुधार नहीं होता है. उन्होंने कहा कि सांस संबंधी एलर्जी के मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है.
बायोत्रा ने कहा कि पहले सांस की समस्या और एलर्जी के मरीजों की संख्या सर्दियों में बढ़ती थी, पॉल्यूशन बढ़ने के साथ इस तरह के पेशेंट अब पूरे साल मिलते हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने साल 2014 में दिल्ली को पहले ही दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहर के रूप में घोषित कर दिया था और नए आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली वासियों को मॉनसून के बाद भी जहरीली हवा से निजात नहीं मिलेगी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सऊदी अरब में रियाद के बाद दिल्ली दुनिया में सर्वाधिक प्रदूषित शहर है.