नई दिल्ली : तीन तलाक और मुस्लिम महिलाओं की दशा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। शीर्ष कोर्ट ने इस मसले पर केंद्र से चार हफ्ते में जवाब मांगा है।
जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन तलाक और मुस्लिम महिलाओं की दशा से जुड़ी याचिकाओं पर जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।
तीन तलाक के मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। हलफनामे में बोर्ड ने कहा कि सामाजिक सुधार के नाम पर पर्सनल लॉ को दोबारा नहीं लिखा जा सकता और तलाक की वैधता सुप्रीम कोर्ट के अधिकार में नहीं है। मुस्लिम पर्सनल लॉ कोई कानून नहीं है जिसे चुनौती दी जा सके, बल्कि ये कुरान से लिया गया है। ये इस्लाम धर्म से संबंधित सांस्कृतिक मुद्दा है। बोर्ड ने हलफनामे में कहा, तलाक, शादी और देखरेख अलग-अलग धर्म में अलग-अलग हैं। एक धर्म के अधिकार को लेकर कोर्ट फैसला नहीं दे सकता।
गौर हो कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से तीन तलाक एवं बहुविवाह के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय में दिए गए हलफनामे को लेकर देश की कुछ प्रमुख मुस्लिम महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस प्रमुख मुस्लिम निकाय पर निशाना साधते हुए आज कहा कि इसका रूख ‘गुमराह करने वाला’, ‘इस्लाम विरोधी’ और ‘महिला विरोधी’ है। उन्होंने एक साथ तीन तलाक और बहुविवाह पर रोक लगाने की मांग की और कहा कि अदालती दखल से महिलाओं को उनके वो अधिकार मिलने चाहिए जो शरीयत एवं कुरान में उनको दिए गए हैं।