नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के उस आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी, जिसमें भारतीय रेलवे और दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी0 से उनकी परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय मंजूरियां लेने को कहा गया था।
न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने प्रथम दृष्ट्या दिल्ली मेट्रो और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (डीएफसीसीआईएल) के इस अभ्यावेदन पर सहमति जताई कि एनजीटी का आदेश गलत है और यदि उन्हें पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से मंजूरियां लेने के लिए विवश किया जाता है तो उनकी परियोजनाओं में देरी होगी।
सरकारी कंपनियों का पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस संबंध में अधिसूचना है और रेलवे एवं डीएमआरसी को माल ढुलाई के लिए समर्पित गलियारों जैसी परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय मंजूरियां लेने की जरूरत नहीं है। इस साल 28 अप्रैल को मंत्रालय और डीएमआरसी ने एनजीटी को बताया था कि मेट्रो रेल परियोजनाओं को पर्यावरणीय मंजूरी की जरूरत नहीं होती।
पर्यावरण मंत्रालय ने एनजीटी को बताया था कि रेलवे और मेट्रो रेल परियोजनाएं 2006 पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अधिसूचना के दायरे में नहीं आती इसलिए पहले पर्यावरणीय मंजूरी लेना जरूरी नहीं है। इससे पहले एनजीटी ने कहा था कि भारतीय रेलवे और डीएमआरसी को अपनी परियोजनाओं के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से पर्यावरणीय मंजूरी लेनी होगी।