नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई में ढांचागत सुधारों को लेकर जस्टिस आर एम लोढ़ा समिति की सिफारिशें को मंजूरी दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब मंत्री बीसीसीआई में पदाधिकारी नहीं बन सकेंगे.
लोढ़ा समिति के अनुसार महाराष्ट्र और गुजरात में 3 क्रिकेट संघ की अनुमति होगी. इसमें 70 साल से ज़्यादा उम्र के लोग बीसीसीआई पदाधिकारी नहीं बन सकेंगे. साथ ही मंत्री बीसीसीआई के पदाधिकारी नहीं बन सकेंगे, नौकरशाह भी सदस्य नहीं बन सकेंगे. फंड खर्च करने पर बीसीसीआई खुद फैसला ले सकता है. महाराष्ट्र और गुजरात से 3 सदस्य लेकिन एक बार में एक को ही वोटिंग का हक होगा. बोर्ड में एक CAG का प्रतिनिधि होगा. बीसीसीआई को 6 महीने में बदलाव करना होगा. बीसीसीआई में आरटीआई लागू करने, सट्टेबाज़ी को कानूनी बनाने पर विचार करना संसद का काम है. ब्रॉडकास्टिंग और विज्ञापन अधिकार बीसीसीआई तय करेगा.
चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति एफ एम आई कलीफुल्ला की पीठ ने करीब दर्जन भर सुनवाई के बाद 30 जून को फैसला सुरक्षित कर लिया था. इस साल मार्च में शुरू हुई सुनवाई के दौरान बीसीसीआई ने समिति की कुछ सिफारिशों को लागू करने पर ऐतराज जताया था जिनमें एक राज्य एक वोट, पदाधिकारियों पर उम्र और कार्यकाल की बंदिश और बोर्ड में कैग का नामित एक प्रतिनिधि होना शामिल है .
गौरतलब है कि लोढा समिति ने चार जनवरी को बीसीसीआई प्रशासन में आमूलचूल बदलावों की सिफारिश की थी . इसमें मंत्रियों को पद लेने से रोकना, पदाधिकारियों के उम्र और कार्यकाल की सीमा तय करना और सट्टेबाजी को वैधानिक बनाना शामिल था. कुछ राज्य क्रिकेट संघ, कीर्ति आजाद और बिशन सिंह बेदी जैसे पूर्व क्रिकेटर और क्रिकेट प्रशासकों ने लोढ़ा समिति की सिफारिशें लागू करने को लेकर उच्चतम न्यायालय का द्वार खटखटाया था .