नई दिल्ली : पिछले दिनों छप कर आई मशहूर अभिनेत्री रेखा की जीवनी ‘रेखा: द अनटोल्ड स्टोरी’ में रेखा को लेकर कई चौकाने वाले खुलासे किए गए हैं। यासेर उस्मान की इस किताब में रेखा के असफल वैवाहिक जीवन का जिक्र भी है।
इस पुस्तक में बताया गया है कि क्यों रेखा ने अपने पति मुकेश अग्रवाल से दूरी बनाई और शादी के बाद साल भर के अंदर ही मुकेश को आत्महत्या करना पड़ा। इतना ही नहीं, इस पुस्तक में रेखा को मुकेश की मौत का जिम्मेदार भी बताया गया है।
सबको हैरत में डालते हुए रेखा ने दिल्ली दिल्ली के एक व्यापारी मुकेश अग्रवाल से शादी की थी। शादी के बाद वे और मुकेश लंदन चले गए। शुरु के दिन अच्छे बीते। क्योंकि मुकेश और रेखा पहली बार एक-दूसरे के साथ वक्त बिता रहे थे। लेकिन एक ही सप्ताह के अंदर रेखा को अहसास हुआ कि वे और मुकेश एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं।
रेखा को इस बात को लेकर भी हैरान थी कि मुकेश एक दिन में कई दवाइयां लेते थे। फिर भी रेखा ने सोचा कि अब तो उन्हें जीवन भर साथ रहना है, इसलिए ऐसी बातों को नजरअंदाज करना होगा।
वे अपने आप से बात करते हुए कहती थीं, “मुझे इसको सफल बनाना है। क्या रेखा कुछ चाहे तो कर नहीं सकती?” दोनों लंदन में एक सप्ताह से ज्यादा रहे। रेखा देख सकती थीं कि कुछ तो है, जो मुकेश को परेशान कर रहा है। और फिर एक दिन मुकेश ने उदास मन से रेखा की आंखों में देखा और कहा कि मेरी जिंदगी में भी एक AB है।
शादी के तीन महीने बाद ही रेखा को सबकुछ भयावह लगने लगा। उन्होंने कुछ वक्त निकाला और चीजों को समझने की कोशिश की। लेकिन जब उन्हें लगा कि हालात को समझ पाना मुश्किल है तो उन्होंने मुकेश और उनके परिवार से दूरी बनानी शुरू कर दी। इतना ही नहीं, उन्होंने मुकेश के फोन रिसीव करना भी बंद कर दिया।
अवसाद में चल रहे मुकेश के लिए यह एक बड़े झटके जैसा था। तब के कई पत्रिकाओं में रेखा और मुकेश के रिश्ते के बीच में आ रही दूरी की खबरें छपीं। किसी ने लिखा, ‘रेखा एक्सपोज्ड’ तो किसी ने ‘रेखा के पति का चौंकाने वाला अतीत’ हेडलाइन दी। और फिर एक दिन मुकेश ने अपने बेडरूम में पंखे से लटक कर अपनी जान दे दी।
1990 में रेखा और जीतेन्द्र की फिल्म ‘शेषनाग’ रिलीज हुई थी। फिल्म की रिलीज के कुछ दिनों बाद ही मुकेश अग्रवाल की मौत सुर्खियों में रही। इस दौरान लोगों ने ‘शेषनाग’ के पोस्टर्स में रेखा के चेहरे पर कालिख पोतनी शुरू कर दी। कुछ जगह पोस्टर्स पर गोबर भी फेंका गया। उनकी छवि को खराब करने की पूरी कोशिश की गई।
मीडिया में मुकेश के आत्महत्या को आपत्तिजनक सुर्ख़ियों के साथ पेश किया गया। मसलन, शोटाइम मैगजीन के नवंबर 1990 के अंक में ‘द ब्लैक विडो’ टाइटल दिया गया तो वहीं, सिने ब्लिट्ज ने हेडलाइन दी, ‘द मकैब्रे ट्रुथ बिहाइंड मुकेश सुसाइड’।