नई दिल्ली : रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सशस्त्र बलों को निर्देश दिया कि वे मित्र देशों, खासतौर पर दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ के मुताबिक संयुक्त अभ्यास करें। उन्होंने सशस्त्र बलों से संसाधनों का इष्टतम प्रयोग करने और किफायत बढ़ाने को कहा। उन्होंने देश के आसपास के संवेदनशील क्षेत्र में एक अहम भूमिका निभाने के लिए संयुक्त क्षमताओं का दोहन करने के लिए प्रेरित किया।
देश जिन सुरक्षा मुद्दों का सामना कर रहा है, उसकी भी उन्होंने यहां दो दिवसीय सालाना एकीकृत कमांडर सम्मेलन में समीक्षा की। उन्होंने सेना के तीनों अंगों से जुड़े अहम सामरिक, ऑपरेशनल, प्रशासनिक तथा साजोसामान के पहलुओं पर चर्चा की। पर्रिकर ने सशस्त्र बलों से एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप मित्र देशों, खासतौर पर दक्षिण पूर्व एशिया के साथ संयुक्त अभ्यास करने को कहा जिनमें सेना का एक से अधिक अंग शामिल हो ।
रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि उन्होंने संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिए सेना के तीनों अंगों के बीच एकजुटता और किफायत बढ़ाने पर जोर दिया ताकि सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए अधिकतम कोष उपलब्ध हो सके। पर्रिकर ने कहा कि भारत की भोगौलिक स्थिति का गुण यह है कि देश अपने आसपास के संवेदनशील क्षेत्रों में एक प्रमुख भूमिका निभाने वाला है जिसके लिए संयुक्त क्षमताओं को विकसित किए जाने की जरूरत है।
आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ नीति और रक्षा उत्पादों के स्वदेशीकरण पर जोर दिया। उन्होंने कर्तव्य के प्रति सशस्त्र बलों के समर्पण और देश की एकता एवं अखंडता की हिफाजत में उनके द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की। चेयरमैन चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी और चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने अपने उदघाटन भाषण में सेना के तीनों अंगों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग और नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनिल लांबा ने अपनी अपनी सर्विसेज से जुड़े मुद्दों का जिक्र किया। कार्यक्रम में रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अरविंद गुप्ता सहित अन्य लोग भी शरीक हुए।