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“स्कॉर्पीन लीक मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित”

by desk
29 August, 2016
in भारत
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नई दिल्ली : नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि स्कॉर्पीन लीक मामला बेहद गंभीर है और इसकी जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर दिया गया है. इससे पहले रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि लीक से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है.
नौसेना प्रमुख सुनील लांबा ने स्कॉर्पीन पनडुब्बी से जुड़े दस्तावेज़ों के लीक होने के मामले में पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है. एडमिरल लांबा ने कहा कि लीक गंभीर मामला है. हालांकि इससे पहले रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि यह लीक कोई बड़ी बात नहीं है.
नौसेना प्रमुख और रक्षा मंत्री पर्रिकर के बयानों में विरोधाभास बताता है कि लीक से क्या-क्या नुकसान हुआ है. नौसेना प्रमुख ने कहा कि हमने इस स्कॉर्पीन डाटा लीक को काफी गंभीरता से लिया है. हमने डीसीएनएस से कहा है कि वह जल्द जांच करके रिपोर्ट सौंपे और हमने भी जांच के लिए एक हाई लेवल कमेटी बना दी.
कमेटी के रिपोर्ट मिलने के बाद हम देखेंगे कि नुकसान की भरपाई के लिए क्या किया जाए. फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस की मदद से नौसेना मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड में छह पनडुब्बियां बना रही है. एक पनडुब्बी का समुद्री परीक्षण भी चल रहा है, जिसके इस साल के अंत तक नौसेना में शामिल होने की संभावना है, लेकिन स्कॉर्पीन लीक मामला सामने आने के बाद इस पनडुब्बी की स्टेल्थ क्षमताएं यानी गोपनीय रहने की योग्यता और दूसरे रणनीतिक मापदंड ख़तरे में पड़ सकते हैं.
साफ है कि सैन्य मामलों में ऐसा समझौता बेहद घातक हो सकता है. ऐसे में आप तभी बचे रह सकते हैं जब इस पनडुब्बी की हथियार प्रणाली में बहुत कुछ बदलाव किए जाएं. इसके लिए ना केवल भारी भरकम पैसे खर्च होंगे बल्कि देरी होगी सो अलग. ध्यान रहे कि अगले पांच साल में ऐसी छह पनडुब्बियां नौसेना में शामिल होनी हैं.
गौरतलब है कि भारतीय नौसेना के पास मौजूद 14 पनडुब्बियों में से फिलहाल सात ही काम कर रही हैं जबकि हिन्द महासागर में चुनौतियां लगतार बढ़ रही हैं, हालांकि इस पर एडमिरल लांबा ने कहा कि पनडुब्बी की संख्या में कमी पर कहा कि ये ज्यादा चिंता वाली बात नहीं है जो कमेटी बैठी है वो इस पर भी मुल्यांकन कर रही है उसके बाद देखा जाएगा.
इस बीच पनडुब्बी को बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी डीसीएनएस ने भी स्कॉर्पीन से जुड़े आंकड़ों को मीडिया में लीक करने से रोक के लिए ऑस्ट्रेलिया की सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है. सोमवार को ऑस्ट्रेलियाई अखबार इस बारे में कुछ और दस्तावेज़ प्रकाशित करने की बात की थी, लेकिन अब मामला कोर्ट में जाने के बाद अब तक यह दस्तावेज़ प्रकाशित नहीं हो पाए हैं. हालांकि बाइस हज़ार से ज़्यादा पन्नों की रिपोर्ट लीक होकर कहां-कहां और किसके हाथ में जा चुकी है. इस बारे में नौसेना को पता नहीं है. वैसे अब नौसेना डैमेज कंट्रोल में काफी हद तक जुट गई है. वह करे भी तो क्या करे. लीक जहां से हुई है उस पर उसका कोई कंट्रोल नहीं है उसे अब तक नुकसान का पूरा-पूरा अंदाजा नहीं है, बस कयास ही लगाए जा सकते हैं.

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