इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के गौतमबुद्ध नगर ज़िले के पंतवारी गांव के किसानों की अर्जी को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है. अर्जी में भूमि अधिग्रहण एवं मुआवजा भुगतान करने के अवार्ड की वैधता को चुनौती दी गयी थी.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि भूमि अधिग्रहण एवं अवार्ड की प्रक्रिया पूरी तरह नियम क़ानून के मुताबिक़ की गई है और इसमें कोई गड़बड़ी नही हैं. सरकार ने गजराज सिंह केस की लार्जर बेंच के फैसले के तहत बढ़ा हुआ मुआवजा और दस फीसदी विकसित प्लॉट देने का निर्णय लिया है.
किसानों ने अपनी अर्जी के ज़रिये पतवारी में हुए ज़मीन अधिग्रहण को रद्द कर अपनी जमीन वापस किये जाने की अपील की थी. कोर्ट के इस फैसले से यूपी सरकार को बड़ी राहत मिली है.
यह आदेश जस्टिस तरूण अग्रवाल व जस्टिस विपिन सिन्हा की डिवीजन बेंच ने ब्रहमपाल व दर्जनों दूसरे किसानों की अर्जी पर सुनवाई के बाद दिया है. याचिका पर यूपी सरकार की तरफ से एतराज जताया गया और इसे खारिज किये जाने की मांग की गई थी.
गौरतलब है कि यूपी सरकार ने साल 2008 में गौतमबुद्ध नगर की दादरी तहसील के पतवारी गांव की 572.592 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण अर्जेंसी की धारा के तहत किया था. अधिग्रहण के खिलाफ कुछ याचिकाएं खारिज हुई तो कुछ को स्वीकार कर लिया गया था.
ग्रेटर नोएडा डेवलपमेंट अथारिटी इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले गया था. इस बीच अन्य याचिकाओं पर लार्जर बेंच का गठन किया गया. हाईकोर्ट की लार्जर बेंच ने इस मामले में बीच का रास्ता अपनाया.
गजराज सिंह केस में लार्जर बेंच ने अधिग्रहण को रद्द न कर किसानों को 64.7 फीसदी बढ़ा मुआवजा एवं दस फीसदी विकसित प्लाट देने का फैसला दिया. सुप्रीम कोर्ट ने भी सावित्री देवी केस में लार्जर बेंच के फैसले को ही कायम रखा.
यूपी सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में दलील दी गई कि पतवारी गांव के ज़्यादातर किसानों ने अपनी जमीन का मुआवजा भी ले लिया है. ऐसे में कुछ किसानों की अर्जी पर समूचे गांव का भूमि अधिग्रहण रद्द करना ठीक नहीं होगा. अदालत ने किसानों की अर्जी को खारिज कर दिया है.