रश्मि अय्यगरी
इटली के फ्लोरेंस, वेनिस और रोम जैसे शहरों की फिजाओं में लियोनार्डो डा विंची, माइकल एंजेलो, रफेल और कारावाजियो के नाम अभी भी हवा में तैरते हैं। इन महान कलाकारों ने यहीं जिंदगी बसर की, यहीं से प्रेरणा ली और यहीं महान कृतियों की रचना की। जाहिर है इन शहरों की गलियों में विचरना हर समकालीन कलाकार का सपना होता है। हाल ही में दिल्ली के कुछ कलाकारों का यह सपना हकीकत में बदल गया, जब दिल्ली कोलाज ऑफ आर्ट के छात्र इटली की यात्रा पर गए और उन्होंने कला के उस स्वर्णिम युग की कलाकृतियों को देखा और महसूस किया। दिल्ली कोलाज ऑफ आर्ट के प्रिंसिपल और मेंटर अश्विनी पृथ्वीवासी अपने कॉलेज के सत्रहवें साल में इस आर्ट ट्रिप को ले जाने में सफल हुए। इटली की अपनी पिछली कुछेक यात्राओं के दौरान उन्होंने ठान लिया था कि वे अपने छात्रों को इस जगह जरूर लेकर आएंगे, जो वास्तुकला और मास्टर्स की क्लासिक पेंटिंग्स संजोए शताब्दियों पुरानी सरजमीं है। स्टाफ और छात्रों के इस दल में 31 सदस्य थे। रोम और वेटिकन सिटी की सैर इस यात्रा का सबसे यादगार हिस्सा था। सिस्टीन चैपल में माइकल एंजेलो की मूर्तियां, भित्ति-चित्र और पेंटिंग्स देखना तथा सेंट पीटर्स बेसिलिका में प्येटा देखना उन्हें अवाक् कर गया। छात्रों के लिए शताब्दी पुरानी रोमन बरोक वास्तुकला और आधुनिक शहरी वास्तुकला को एक साथ देखना भी एक अनूठा अनुभव था। वहां की विशेष नाट्यशाला न केवल एक अजूबा थी, बल्कि उसने इतिहास के स्याह पन्नों से भी उनका परिचय करवाया। मिलान से रोम का रोड ट्रिप खूबसूरत देहातों से होकर गुजरा। मशहूर फेरारी संग्रहालय पर कुछ देर ठिठका भी। इसके बाद छात्रों ने पियाजा डि मिराकोली हाउस की वास्तुकला और लीनिंग टावर ऑफ पीसा पर ट्रिक फोटोग्राफी की मस्ती की।
फ्लोरेंस सिटी टूर उन्हें मेडिसी परिवार के 15वीं सदी के महल में ले गया, जहां विशाल कला संग्रह है और जो 16वीं सदी का पहला आधुनिक संग्रहालय था। उफिजि गैलरी में 13वीं से 16वीं शताब्दी की चित्रकला और मूर्तिकला के नमूने हैं, जिसे नवयुग का स्वर्णयुग कहा जाता है। बाइजैन्टाइन आर्ट से गोथिक आर्ट और टेम्पेरा स्टाइल से ऑयल पेंटिंग्स के विविध स्टाइल देख छात्र दंग रह गए। फ्लोरेंस में और भी बहुत कुछ था देखने के लिए- पत्थरों से बना एक मध्यकालीन पुल पॉन्टे वेशियो, 13वीं शताब्दी का टाउन हॉल पियाजा डेल्ला सिग्नोरिया और रेनेसां मूर्तिकला की ओपन-एयर गैलरी लोगिया डि लान्जी। इसके अलावा फ्लोरेंस बैपिस्ट्री की विशाल वास्तुकला, सबीन औरतों के बलात्कार को दर्शाती गियामबोलोग्ना की बनाई भव्य मूर्ति और माइकल एंजेलो की सुप्रसिद्ध डेविड की प्रतिमा देख छात्र स्तब्ध रह गए। अन्य यादगार अनुभवों में था- खूबसूरत वास्तुकला को निहारते हुए वेनिस शहर के इर्द-गिर्द की फेरी राइड, मुरानो की फैक्ट्री में हाथ से बनता शीशा, वेनिस स्क्वायर के बीचों-बीच सेंट मार्क के बेसिलिका के सामने खींची गई ग्रुप फोटो तथा पैगी गगेनहेम संग्रहालय में पिकासो, सैल्वाडोर डाली, पोलोक, अनीश कपूर सहित आधुनिक कला के अन्य कई दिग्गजों की कलाकृतियां। छात्रों ने उस समय चल रहा एक अमेरिकन कलाकार मार्क टोबे का शो भी देखा। मिलान लौटते हुए पैडोवा में स्कोरवैग्नी चैपल में गियोटो के खूबसूरत भित्ति- चित्र देखने के लिए टूर फिर कुछ देर ठिठका। इसके बाद मिलान में आर्ट कॉलेज और संग्रहालय पिनाकोटेका डि बेरा में ठहरना हुआ, जहां इटली के मशहूर कलाकारों की रेनेसां काल से आधुनिक काल तक की पेंटिंग्स प्रदर्शित हैं। यहां बीच में नेपोलियन की एक विशाल कांस्य प्रतिमा भी स्थापित है। गैलरी में ग्रुप ने जियोवानी बेलिनि, रफेल, कारावाजियो जैसे इटली के मशहूर कलाकारों की आदमकद रचनाएं देखीं। सांता मारिया डेल्ले ग्रेजी चर्च, जिसमें लियोनार्डो डा विंची की ऐतिहासिक पेंटिंग दि लास्ट सपर लगी है, के सामने अंतिम ग्रुप फोटो खिंचवाना छात्रों के लिए कल्पनालोक में विचरने जैसा था।
एक छात्र राहुल नागपाल, जो सुन-बोल नहीं सकता, का इस टूर में साथ होना भी सबके लिए कम रोमांचक ना था। एक सीनियर छात्रा गीता वेणुगोपाल उसकी मदद कर रही थीं। जब गैलरियों के क्यूरेटर छात्रों को वहां की चीजें दिखा और समझा रहे होते थे, गीता एक-एक बात को लिख रही होती थीं, ताकि राहुल उसे पढ़ कर वहां के इतिहास को जान सके और उस जगह को बाकी छात्रों की तरह ही आत्मसात कर सके। स्पेशल नीड का छात्र होने की वजह से इटैलियन दूतावास ने उससे वीजा फीस भी नहीं ली थी।