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यूएनजीए : सुषमा ने पाकिस्तान को दिया करारा जवाब, कहा-जम्मू-कश्मीर का ख्वाब छोड़ दे पाक

by desk
27 September, 2016
in दुनिया, न्यूज़, भारत
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न्यूयार्क : संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। सुषमा ने नवाज शरीफ के भाषण की याद दिलाते हुए कहा कि जिनके अपने घर शीशे के हों, उन्हें दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए। विदेश मंत्री ने आतंकवाद पर पाकिस्तान के दावों की पोल खोलते हुए उसे बेनकाब कर दिया। सुषमा ने कहा कि आतंकवाद को पालने-पोसने और उसका निर्यात करने वाले देशों की पहचान होनी चाहिए और उन्हें अलग-थलग किया जाना चाहिए। सुषमा ने कहा कि आतंकवाद का खात्मा मुश्किल काम नहीं है, इसके लिए दुनिया के देशों को दृढ़-इच्छाशक्ति दिखानी होगी।
पाकिस्तान पर चुटकी लेते हुए सुषमा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र में कहा कि हमारे बीच ऐसे देश हैं जहां संयुक्त राष्ट्र की ओर से नामित आतंकवादी स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे हैं और दंड के भय के बिना जहरीले प्रवचन दे रहे हैं। उनका इशारा मुम्बई आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता और जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद की ओर था।
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा और पाकिस्तान उसे छीनने का ख्वाब देखना छोड दे। उन्होंने ऐसे देशों को अलग-थलग करने की पुरजोर वकालत की जो आतंकवाद की भाषा बोलते हों और जिनके लिए आतंकवाद को प्रश्रय देना उनका अचरण बन गया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा को पहली बार संबोधित करते हुए सुषमा ने कहा कि दुनिया में ऐसे देश हैं जो बोते भी हैं तो आतंकवाद, उगाते भी हैं तो आतंकवाद, बेचते हैं तो भी आतंकवाद और निर्यात भी करते हैं तो आतंकवाद का। आतंकवादियों को पालना उनका शौक बन गया है। ऐसे शौकीन देशों की पहचान करके उनकी जबावदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें उन देशों को भी चिन्हित करना चाहिए जहां संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी सरेआम जलसे कर रहे हैं, प्रदर्शन निकालते हैं, जहर उगलते हैं और उनके पर कोई कार्यवाही नहीं होती। इसके लिए उन आतंकवादियों के साथ वे देश भी दोषी हैं जो उन्हें ऐसा करने देते हैं। ऐसे देशों की विश्व समुदाय में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।’ उन्होंने विश्व समुदाय से ऐसे देशों को अलग थलग करने का आह्वान किया।
सुषमा ने कहा कि केवल इच्छाशक्ति की कमी है। ये काम हो सकता है और ये काम हमें करना है, नहीं करेंगे तो हमारी आने वाली पीढियां हमें माफ नहीं करेंगी। हां, यदि कोई देश इस तरह की रणनीति में शामिल नहीं होना चाहता तो फिर उसे अलग-थलगकर दें। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि जिन्होंने अतिवादी विचारधारा के बीज बोए हैं उन्हें ही उसका कड़वा फल मिला है। आज उस आतंकवाद ने एक राक्षस का रूप धारण कर लिया है, जिसके अनगिनत हाथ हैं, अनगिनत पांव और अनगिनत दिमाग और साथ में अति आधुनिक तकनीक। इसलिए अब अपना या पराया, मेरा या दूसरे का, आतंकवादी कहकर हम इस जंग को नहीं जीत पाएंगे। पता नहीं यह दैत्य किस समय किस तरफ का रुख कर ले।
विदेश मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी पर शुरुआत से ही अशांति और हिंसा का साया रहा है। परंतु मिलजुल कर प्रयास करने से हम इसे मानव सभ्यता के इतिहास में एक स्वर्णिम युग में बदल सकते हैं। लेकिन भविष्य में क्या होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम आज क्या करते हैं।
वैश्विक आतंकवाद के खतरों से विश्व समुदाय को आगाह करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि वह एक ऐसे विषय पर बोलने जा रही हैं जिस पर इस सभा में बैठा हर व्यक्ति चिंतित है और चिंतित ही नहीं सोचने पर मजबूर है। उन्होंने कहा, ‘इसी महीने इस शहर में हुए 9/11 आतंकी हमले की 15वीं वर्षगांठ थी। पिछले 15 दिनों में इसी शहर में एक और आतंकी हमले में मासूमों को मारने की कोशिश की गई थी। हम इस शहर का दर्द समझते हैं’। भारत समेत दुनिया भर में आतंकवाद की समस्या का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने हम पर भी उरी में इन्हीं आतंकी ताकतों ने हमला किया था। विश्व इस अभिशाप से बहुत समय से जूझ रहा है। लेकिन, आतंकवाद का शिकार हुए मासूमों के खून और आसुओं के बावजूद, इस वर्ष काबुल, ढाका, इस्तांबुल, मोगादिशू, ब्रसेल्स, बैंकॉक, पेरिस, पठानकोट और उरी में हुए आतंकवादी हमले और सीरिया और इराक में रोजमर्रा की बर्बर त्रासदियां हमें ये याद दिलाती हैं कि हम इसे रोकने में सफल नहीं हुए हैं।
सुषमा ने विश्व समुदाय से आतंकवाद से मिलकर लड़ने का आह्वान किया।
संयुक्त राष्ट्र के मंच से कश्मीर को लेकर भारत पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का ‘निराधार आरोप’ लगने के लिए नवाज शरीफ पर तीखा प्रहार करते हुए सुषमा ने कहा कि 21 तारीख को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इसी मंच से मेरे देश में मानवाधिकार उल्लंघन के निराधार आरोप लगाए थे। मैं केवल यह कहना चाहूंगी कि दूसरों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाने वाले जरा अपने घर में झांककर देख लें कि बलूचिस्तान में क्या हो रहा है और वे खुद वहां क्या कर रहे हैं। बलूचियों पर होने वाले अत्याचार तो यातना की पराकाष्ठा है। उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि जिनके अपने घर शीशे के बने हों, उन्हें दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिये।
भारत पर बातचीत के लिए पूर्व शर्त लगाने के पाकिस्तान के दावे को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि उसने इस्लामाबाद के साथ किसी शर्त के आधार पर नहीं बल्कि दोस्ती के आधार पर बातचीत शुरू की लेकिन इसके बदले पठानकोट मिला, उरी पर आतंकी हमले के रूप में बदला मिला। विदेश मंत्री ने कहा कि दूसरी बात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कही कि बातचीत के लिए जो शर्त भारत लगा रहा है, वो हमें मंजूर नहीं है। कौन सी शर्तें? क्या हमने कोई शर्त खकर न्यौता दिया था शपथ ग्रहण समारोह में आने का? जब मैं इस्लामाबाद गई थी, हर्ट ऑफ एशिया कांफ्रेंस के लिए, तो क्या हमने कोई शर्त रखकर समग्र वार्ता शुरू की थी?’
उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी काबुल से चलकर लाहौर पहुंचे थे तो क्या किसी शर्त के साथ गए थे? किस शर्त की बात हो रही है?’ हमने शर्तों के आधार पर नहीं बल्कि मित्रता के आधार पर सभी आपसी विवादों को सुलझाने की पहल की और दो साल तक मित्रता का वो पैमाना खड़ा किया जो आज से पहले कभी नहीं हुआ। ईद की मुबारकबाद, क्रिकेट की शुभकामनाएं, स्वास्थ्य की कुशलक्षेम, क्या ये सब शर्तों के साथ होता था?’

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