नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि लेस्बियन, गे और बायसेक्सुअल तीसरे लिंग नहीं हैं. 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को तीसरे सेक्स का दर्ज़ा दिया था. सामाजिक रूप से पिछड़ा मानते हुए इन्हें शिक्षा और नौकरी में ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण देने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसने सिर्फ किन्नरों को थर्ड जेंडर यानी तीसरे सेक्स के तौर पर रखे जाने का आदेश दिया है. ये दर्जा लेस्बियन, गे और बाइसेक्सुअल को नहीं दिया गया है. इसके साथ ही ये साफ़ हो गया है कि सिर्फ किन्नर ही ओबीसी श्रेणी में आरक्षण पाने के हकदार हैं.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से स्पष्टता मांगते हुए पूछा कि उसका फैसला सिर्फ ट्रांसजेंडर्स यानी किन्नरों के लिए था या LGBT वर्ग के दूसरे लोगों के लिए भी था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा फैसला स्पष्ट है. इसमें और स्पष्टता की ज़रूरत नहीं. अदालत ने अब तक इस फैसले पर अमल शुरू न होने पर नाराज़गी भी जताई.