शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने पर सात साल के बदले जीवन भर उसकी मान्यता रहेगी। केंद्र सरकार की तर्ज पर बिहार सरकार इस व्यवस्था को लागू करेगी। राज्य सरकार को केवल केंद्र से विधिवत पत्र या आदेश मिलने का इंतजार है। नवल किशोर यादव व सुबोध कुमार के ध्यानाकर्षण के जवाब में मंगलवार को विधान परिषद में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने यह जानकारी दी। एसटीईटी को लेकर शिक्षा मंत्री का बड़ा एलान आया है। पढ़िए पूरी खबर-
मंत्री ने कहा कि राज्य के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक के पद पर नियुक्ति हेतु शिक्षक पात्रता परीक्षा (एसटीईटी) उतीर्ण होना अनिवार्य है। इस प्रमाण पत्र की वैद्यता अभी सात साल है। एसटीईटी 2012 में उतीर्ण अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र की वैद्यता जून 2019 में समाप्त हो रही थी। विभाग ने अगले दो वर्ष के लिए विस्तारित किया गया। संबंधित अभ्यर्थियों को उक्त नियोजन की कार्रवाई में सम्मिलत होने का अवसर दिया गया। एनसीटीई द्वारा कक्षा एक से आठ तक के लिए टीईटी प्रमाण पत्र की वैद्यता सात साल तक दी जाती है।
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29 सितम्बर 2020 को एनसीटीई की आम सभा की बैठक की कार्यवाही में यह बात सामने आई है कि टीईटी की वैद्यता जीवन भर किया जाए। इस कार्यवाही की प्रति वेबसाइट पर उपलब्ध है। लेकिन, इसे भविष्य के प्रभाव से लागू किया जाना है। यानी, पूर्व से जो टीईटी परीक्षा पास हैं, उनके प्रमाण पत्र की वैद्यता जीवन भर लागू करने से पहले विधिक परामर्श लिया जाना होगा। चूंकि एनसीटीई की ओर से लिए गए निर्णय को राज्य सरकार लागू करती है। इसलिए राज्य सरकार एसटीईटी के प्रमाण पत्र की वैद्यता के संबंध में भी एनसीटीई की ओर से लिए गए निर्णय को ही लागू किया जाएगा।
सदस्यों के पूरक प्रश्न पर मंत्री ने कहा कि दिव्यांगजनों के चार फीसदी क्षैतिज आरक्षण के प्रावधान को लागू करने के लिए सरकार कृत संकल्पित है। कोर्ट में दायर वाद में भी सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।