नई दिल्ली : देश भर में 22 ऐसे हाईवे जल्द तैयार होने वाले हैं, जहां से लड़ाकू विमान उड़ान भर सकेंगे और उतर सकेंगे. युद्ध की परिस्थितियों के मद्देनजर ऐसे हाईवे रनवे में तब्दील कर दिए जाएंगे.
पिछले साल नोएडा-आगरा एक्सप्रेस-वे पर लड़ाकू विमान मिराज 2000 ने उड़ान भरी थी. अब भारत में इस तरह हाईवे से लड़ाकू विमानों को उड़ाना आम हो जाएगा. अगर युद्ध के हालात हुए तो इन हाईवे को लड़ाकू विमानों के रनवे में कुछ घंटों के भीतर बदला जा सकेगा.
रक्षा और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मिलकर देशभर में 22 हाईवे को रनवे में तब्दील करने का काम शुरू करने जा रहे हैं. देशभर में हाईवे को रनवे में बदलने के लिए हाईवे और उनके कुछ हिस्से चिन्हित किए गए हैं.
फिलहाल इस परियोजना के लिए जिन 22 हाईवे की पहचान की गई है वह यूपी, राजस्थान, अरुणाचल और मेघालय में हैं. इस मामले में जल्द ही रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और परिवहन और जहाजरानी मंत्री नितिन गड़करी के बीच बैठक होगी.
इन हाईवे को रनवे के तौर पर इस्तेमाल करने से भारत की वायुसेना की मारक क्षमता न केवल बढ़ेगी बल्कि पाकिस्तान और चीन को घेरने के लिए ज़्यादा एयरस्ट्रिप भी उपलब्ध होगी, पाकिस्तान में हाइवे को पहले से ही रनवे के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है वहीं चीन भी एयरस्ट्रिप की संख्या बढाने में जुटा हुआ है.
ऐसे में मोदी सरकार ने चीन और पाकिस्तान पर मनोवैज्ञानिक दवाब बढ़ाने के लियर लगातार अपनी सामरिक ताकत में इजाफे की योजन पर काम कर रही है, सेना की तरफ से PoK में आतंकी कैम्पों पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद इस काम में और तेज़ी आयी है. सूत्रों के मुताबिक, इस सिलसिले में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और परिवाहन मंत्री नितिन गडकरी के बीच पहली बैठक सर्जिकल स्ट्राइक के दिन यानि 29 सितंबर को हुई थी.
भारत में 96 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी दूरी के हाईवे हैं जिन्हें लगातार बढ़ाने का काम जारी है, ताकि सड़कों पर बढ़ते ट्रैफिक को काबू में किया जा सके. एयरफोर्स सुनिश्चित हो लेना चाहता है कि देशभर में फैले इन हाईवो पर विमानों को उतारना जल्द से जल्द संभव हो सके. इसके लिए बाकायदा SOP यानि स्टैण्डर्ड ऑपरेटिव प्रोसिजर बनाया गया है
इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय ने परिवहन मंत्रालय से कहा है कि वह एसओपी स्थापित करने में राज्यों की मदद करे, ताकि जल्द से जल्द हाइवेज़ को रनवे की तरह इस्तेमाल करने का विकल्प तैयार किया जा सके.
इसके तहत जहां भी हाईवे को रनवे में बदलना हो उसके लिए एक मोबाइल एटीसी के लिए स्थान सुनिश्चित करना होगा, आयल टैंकर और फायर ब्रिगेड के खड़े होने के लिए पार्किंग स्पेस तय करना होगा. इतना ही नहीं हाईवे पर जिस स्थान को रनवे के तौर पर इस्तेमाल करना हो वहां 300 मीटर तक कोई भी निर्माण ना हो ये भी सुनिश्चित किया जायेगा.
रनवे के लिए टेम्परेरी बैरिकेड और परमानेंट बेररिकेड की 24 घंटे इंतज़ाम हो. रक्षा मंत्रालय अपने सीमित एयरस्ट्रिप को बढ़ाना चाहता है. कई जगहों खास तौर पर पहाड़ी इलाको में प्लेन स्पेस की भी समस्या है. इसलिए रक्षा मंत्रालय ऐसे हाईवे को रनवे के विकल्प के तौर पर तैयार रखना चाहता है. सर्जीकल स्ट्राइक के बाद संभावित युद्ध के लिए तैयार भारत ने ऐसी तैयारियों को और भी तेज़ कर दिया है.