Rajpath Desk : कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सोनिया गांधी ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की है। साथ ही उन्होंने नए पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है। सोनिया ने गुलाम नबी आजाद समेत अन्य नेताओं द्वारा नेतृत्व परिवर्तन को लेकर लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए इस्तीफे की पेशकश की।
राहुल गांधी ने पत्र पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जिस वक्त पत्र भेजा गया उस समय सोनिया गांधी अस्पताल में भर्ती थीं। पत्र उस समय लिखा गया था जब राजस्थान में कांग्रेस सरकार संकट का सामना कर रही थी। इसमें जो लिखा गया था उस पर मीडिया के बजाय सीडब्ल्यूसी बैठक में चर्चा होनी चाहिए थी। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि जिन्होंने इस वक्त चिट्ठी लिखी है वो भाजपा से मिले हुए हैं।
इस बयान पर कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ नेताओं ने नाराजगी जताई। इसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सफाई दी। फिर सिब्बल ने अपना ट्वीट वापस ले लिया। सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी की बात का वो मतलब नहीं था और न ही उन्होंने ऐसा कहा।
कृपया झूठे मीडिया बातचीत या गलत सूचना के प्रसार से भ्रमित न हों। हम सभी को एक साथ मिलकर मोदी सरकार के खिलाफ लड़ना है न कि एक-दूसरे को चोट पहुंचाने या कांग्रेस के खिलाफ। राहुल के बयान से नाखुश कपिल सिब्बल ने कहा कि राहुल गांधी का कहना है कि हम भाजपा के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। राजस्थान उच्च न्यायालय में कांग्रेस पार्टी का बचाव किया।
भाजपा सरकार को गिराने के लिए मणिपुर में पार्टी का बचाव किया। पिछले 30 साल में कभी भी किसी मुद्दे पर भाजपा के पक्ष में बयान नहीं दिया। फिर भी हम भाजपा से मिले हो सकते हैं। वहीं गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर राहुल गांधी की टिप्पणी सही साबित हुई तो वे इस्तीफा दे देंगे।
बाद में सिब्बल ट्वीट वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने मुझे व्यक्तिगत रूप से सूचित किया कि उन्होंने कभी ऐसा नहीं कहा है इसलिए मैं अपना ट्वीट वापस लेता हूं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी पत्र की आलोचना करते हुए सोनिया को पद पर बने रहने का आग्रह किया। एके एंटनी ने उनका समर्थन किया है। बता दें कि उन्हें एक साल पहले राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद 10 अगस्त, 2019 को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था।
बैठक से पहले पार्टी में पूर्णकालिक अध्यक्ष या सामूहिक नेतृत्व को लेकर 23 वरिष्ठ नेताओं के पत्र ने गांधी परिवार के नजदीकी नेताओं की बेचैनी बढ़ा दी। इसके बाद बदलावों की वकालत करने वाले वरिष्ठ नेताओं के सुझावों और तर्को को पूरी तरह से खारिज करते हुए, इन नेताओं ने सोनिया गांधी को ही पार्टी अध्यक्ष बनाए रखने या राहुल गांधी को दोबारा पार्टी की कमान सौंपने की मुहिम शुरू कर दी है। इन नेताओं में कई मुख्यमंत्री, सांसद और पूर्व मंत्री से लेकर पार्टी पदाधिकारी शामिल हैं।