सौम्या ज्योत्स्ना : अपर्णा के तेज़ कदम अचानक से सुस्त पड़ गए और वह नज़रें बचाकर किसी दीवार की ओट तलाशने लगी। चेहरे पर स्टाल लपेटे वह फोन में व्यस्त होने का दिखावा करने लगी मगर आशीष की नज़रों ने अपर्णा को पहचान लिया और उसने अपर्णा को टोकते हुए पूछा, ” क्या बात है, आज इस गली कैसे आना हुआ? क्या कोई नया कस्टमर मिल गया है?
आशीष के सवाल अपर्णा के शरीर में ज़हर खोलने का काम कर रहे थे और उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह कैसे अपना बचाव करे। अपर्णा एक सेक्स वर्कर थी और आशीष उसका रेगुलर कस्टमर था इसलिए अपर्णा उसके सवालों से भाग रही थी।
आशीष अपर्णा से कुछ अश्लील बातें करने ही वाला था कि तभी आशीष की पत्नी वहां आ गई और उसने अपर्णा को देखकर कहा, “वाह बहन, तुम यहां? कैसी हो तुम?”
आशीष ने चौंकते हुए अपनी पत्नी से पूछा, “तुम इसे जानती हो?” इस पर उसने कहा, “हां, मैं इन्हें जानती हूं, यह हमारे बैंक में पैसे जमा करने आया करती हैं और वहीं हमारी जान पहचान बनी और हम एक दूसरे को बहन बोलने लगे मगर तुम अपर्णा को कैसे जानते हो और यहां क्या बातें हो रही थी, मुझे भी बताओ?”
अब आशीष के चेहरे के रंग उड़ गए और उसकी शून्य आंखें अपर्णा को निहारने लगी क्योंकि उसे लगने लगा कि अब अपर्णा सारी सच्चाई उसे बता देगी मगर अपर्णा ने कहा, “अभी यहां कुछ लड़के मुझे छेड़ रहे थे, तो आपके ही हसबैंड ने मुझे बचाया।”
यह सुनकर आशीष शर्म से पानी पानी हो गया क्योंकि अब मुंह छुपाने की बारी अपर्णा की नहीं बल्कि आशीष की थी।