नई दिल्ली : निर्वाचन आयोग को अभी लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करनी है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह विपक्ष पर पहले से ही जोरदार हमले कर रहे हैं। इससे सत्तारूढ़ पार्टी को बढ़त बनाने में कामयाबी मिलेगी।
भाजपा राष्ट्रवादी भावना के जरिए अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रही है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, मोदी के निर्णायक नेतृत्व के पक्ष में जनता का मजबूत समर्थन पाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
भाजपा की कोर टीम पार्टी के दूसरे कार्यकाल को सुनिश्चित करने के लिए कार्य कर रही है।
हालांकि, अमित शाह की टीम में 32 वरिष्ठ नेता हैं, जिसमें महासचिव, उपाध्यक्ष व सचिव शामिल हैं। इसमें करीब 12 ऐसे हैं, जो पार्टी के प्रचार अभियान के प्रमुख नेता हैं।
आईएएनएस ने टीम अमित शाह की मजबूती व रणनीति के बारे में जानकारी ली।
इस कोर टीम के सदस्य भूपेंद्र यादव, कैलाश विजयवर्गीय, अरुण सिंह, राम माधव, मुरलीधर राव, धर्मेद्र प्रधान, प्रकाश जावड़ेकर व जे.पी.नड्डा पहले ही मैदान में उतर चुके हैं।
भूपेंद्र यादव को भाजपा अध्यक्ष का विश्वास पात्र माना जाता है। 49 साल के भूपेंद्र यादव महासचिव व बिहार के भाजपा प्रभारी हैं, जहां भाजपा का जद (यू) व लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के साथ गठबंधन है और उन पर विपक्ष राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन पर बढ़त बनाने की जिम्मेदारी है।
दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे भूपेंद्र यादव को 2010 में तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने भाजपा का सचिव नियुक्त किया था। तबतक वह भाजपा में कोई जाना-माना नाम नहीं थे, लेकिन उन्होंने राजस्थान (2013), गुजरात (2017), झारखंड (2014) व उत्तर प्रदेश (2017) के विधानसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति के तहत जीत हासिल कर उन्होंने महासचिव पद हासिल किया।
हालांकि, उनकी जीत की लहर बिहार में जारी नहीं रही, जहां मोदी व शाह के प्रयासों के बावजूद भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन इस पराजय के बाद भी भूपेंद्र यादव पर अमित शाह ने विश्वास बनाए रखा।
भूपेंद्र यादव को वार रूम रणनीति का जानकार माना जाता है। अतीत में जनसांख्यिकी और मतदान पैटर्न पर आधारित उनकी रणनीति से पार्टी को मदद मिली।
उनकी रणनीति में अतीत के अनुभव, पार्टी कार्यकर्ताओं की राय व जमीनी स्तर पर करीब से निगरानी शामिल होती है। वह पिछड़े वर्ग के प्रमुख नेता के तौर पर उभरे हैं।
कैलाश विजयवर्गीय : अपने बेहतरीन संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाते हैं। विजयवर्गीय मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं। उन्हें तृणमूल कांग्रेस शासित पश्चिम बंगाल में पार्टी के अत्यधिक महत्वाकांक्षी प्रयासों का जिम्मा सौंपा गया है।
पार्टी महासचिव व पश्चिम बंगाल के प्रभारी के रूप में उन्होंने अपना ध्यान राज्य पर केंद्रित किया है और भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है।
पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य है, जहां मोदी का करिश्मा 2014 के लोकसभा चुनाव में नहीं चला और पार्टी को सिर्फ दो सीटें मिली थीं।
2019 के चुनाव से पहले अमित शाह ने राज्य की 42 सीटों में से 22 सीटों पर जीत का लक्ष्य तय किया है, इसकी जिम्मेदारी विजयवर्गीय को दी गई है।
विजयवर्गीय ने अपने को हरियाणा में साबित किया है। उन्हें उत्तरी राज्य में भारी जीत का श्रेय है, जहां पहली बार भाजपा ने अपनी सरकार बनाई है।
पश्चिम बंगाल में पार्टी के संगठन को मजबूत करने के अलावा वह जीताऊं उम्मीदवार व जाने-माने चेहरे खोजने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, जिसकी राज्य में पार्टी के पास कमी है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कभी दाहिना हाथ रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल राय को भाजपा में लाने में कामयाब रहे। यह विजयवर्गीय का प्रयास ही था कि तृणमूल सांसद सौमित्रा खान व भारती घोष भाजपा में शामिल हुए। ये दोनों कभी ममता बनर्जी के करीबी माने जाते थे।
अरुण सिंह : भाजपा मुख्यालय में सबसे ज्यादा पंसद किए जाने वाले व्यक्ति हैं। महासचिव के तौर पर वह सिर्फ अमित शाह के यात्रा कार्यक्रमों का प्रबंधन ही नहीं करते, बल्कि कार्यालय से भी जुड़े हैं।
सिंह ने अपना राजनीतिक करियर भारतीय जनता युवा मोर्चा से शुरू किया। पार्टी में कई पदों पर अपनी सेवाएं देने के बाद वह अमित शाह की टीम में महासचिव के रूप में शामिल हुए हैं।
उन्होंने भाजपा के सदस्यता अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण पद दिया गया। सिंह ओडिशा में पार्टी मामलों के प्रभारी हैं, जहां उनके पास नवीन पटनायक को गद्दी से हटाने का कठिन कार्य है।
मुरलीधर राव : अमित शाह की टीम के राव एक प्रमुख सदस्य हैं। उनके पास महासचिव व कर्नाटक व तमिलनाडु का प्रभार है।
उनका मुख्य कार्य दक्षिण के राज्य में संगठन मजबूत करने के अलावा संभावित सहयोगियों की तलाश है। लोकसभा चुनाव से पहले वह कर्नाटक में भाजपा सरकार के लिए हर प्रयास कर रहे हैं। वर्तमान में कर्नाटक में जनता दल (सेकुलर) व कांग्रेस की सरकार है।
अनिल जैन : आठ महासचिवों में एक है। उन्हें जल्द ही छत्तीसगढ़ का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया गया है, जहां भाजपा की 2018 के विधानसभा चुनाव में भारी पराजय हुई है।
छत्तीसगढ़ में उनके सामने बड़ी चुनौती है। साल 2014 में पार्टी ने लोकसभा की 11 सीटों में से 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। उनके लिए संख्या को बनाए रखना बड़ी चुनौती है।
उनके करीबी सूत्रों ने आईएएनएएस से कहा कि उनके प्रबंधन कौशल ने पहली बार 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी व अमित शाह को आर्कर्षित किया था। वह मोदी की चुनावी रैली की व्यवस्था देखते हैं। इसके साथ ही वह बूथ प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।