नई दिल्ली : भाजपा ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की वकालत की है। इस संबंध में संसद की एक स्थाई समिति को पत्र लिखा गया है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने के लिए ‘कानून एवं न्याय पर संसद की स्थाई समिति’ को पत्र लिखा है। शाह ने लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को साथ में कराने के लिए अनेक राजनीतिक दलों के बीच व्यापक बहस की भी वकालत की और चुनाव आयोग से इस संबंध में संभावना तलाशने का आग्रह किया है।
संसद की स्थाई समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव एक साथ कराने की व्यवहार्यता पर अपनी रिपोर्ट में चुनाव साथ कराने की वकालत की थी और कहा था कि इससे खर्च कम करने में, नीतिगत पंगुता को समाप्त करने में और समय बचाने में मदद मिलेगी।
चुनाव आयोग एक साथ चुनाव कराने के खिलाफ नहीं है और मामला गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले एक मंत्रिसमूह के विचाराधीन है। मोदी ने इस बाबत पुरजोर वकालत करते हुए कहा था कि बार-बार चुनावों की वजह से चीजें अटक जाती हैं और चुनावों पर काफी समय खर्च होता है। उन्होंने यह भी कहा था कि विपक्ष के कई नेताओं ने उनसे मुलाकात कर रास्ता निकालने को कहा है।
स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि एक साथ चुनाव कराने की संभावनाओं पर सभी राजनीतिक दलों को गहराई से विचार-विमर्श करने की जरूरत है। लेकिन समिति ने माना था कि आम-सहमति बन पाना मुश्किल हो सकता है। अन्नाद्रमुक और असम गण परिषद ने सैद्धांतिक रूप से इस विचार का समर्थन किया है। अकाली दल ने कहा कि वह इस विचार का समर्थक है लेकिन कुछ मुद्दों पर उसे संशय है।
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने यह कहते हुए इस विचार को खारिज कर दिया है कि यह अव्यावहारिक हो सकता है। राकांपा ने भी कहा कि प्रस्ताव व्यावहारिक नहीं है। भाकपा ने कहा कि प्रस्ताव आदर्श लगता है लेकिन व्यावहारिक दिक्कतें हैं।
गौरतलब है कि विधि आयोग ने 1999 में सरकार को भेजी अपनी एक रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया था।