नई दिल्ली : सातवें वेतन आयोग से नाराज कर्मचारियों की धमकी के बाद कैबिनेट ने कुछ संसोधन किए हैं। न्यूनतम वेतनमान में बढ़ोत्तरी की खबर आ रही है। इस बीच यह भी खबर है कि सरकार के निर्णय से असंतुष्ट कर्मचारी संगठन अपने हड़ताल के फैसले पर आगे बढ़ने का निर्णय ले सकते हैं। फिलहाल बुधवार की स्थिति यह है कि 33 लाख कर्मचारियों की हड़ताल पर जाने की धमकी से दबाव में आई केंद्र सरकार की कर्मचारी नेताओं से बातचीत जारी है। लेकिन आज तक सरकार की ओर से कर्मचारी नेताओं को लिखित आश्वासन नहीं दिया गया।
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सरकार ने मौखिक रूप से कह दिया है कि न्यूनतम वेतनमान बढ़ाने की उनकी मांग को मान लिया गया है। सरकार ने कर्मचारियों की मांग और वेतन बढ़ोतरी में कुछ विसंगतियों को दूर करने के लिए कमेटी बना दी है। यह कमेटी बैठक कर कर्मचारियों की दिक्कतों को दूर करने का प्रयास कर रही है।
कर्मचारी संगठनों के नेताओं का कहना है कि सरकार से बातचीत जारी है और उन्होंने फिर दोहराया कि सरकार लिखित आश्वासन दे या ऑशियल नोटिफिकेशन जारी करे जो सरकार ने अभी तक नहीं किया है। यानि अभी गतिरोध बरकरार है। सूत्र बता रहे हैं कि दोनों ओर से बर्फ कुछ पिघली है। सरकार जहां न्यूनतम वेतन बढ़ाने की कर्मचारी संगठनों की मांग पर राजी हो गई है वहीं, कर्मचारी संगठन भी कुछ झुकने को तैयार हैं।
सूत्रों के अनुसार जहां कर्मचारी संगठन 7वें वेतन आयोग द्वाया तय न्यूनतम वेतन 18000 से बढ़ाकर 26000 करने की मांग कर रहे हैं वहीं, सरकार की ओर से इशारा किया गया है कि इसे 22-23000 रुपये किया जा सकता है। सूत्र बता रहे हैं कि सरकार की ओर से कर्मचारी संगठनों को बता दिया गया है कि कर्मचारियों की न्यूनतम वेतन मांग के अनुसार सरकार पर जो खर्चा आएगा वह काफी ज्यादा होगा, इसलिए कर्मचारी संगठनों को सरकार ने अपनी मजबूरी भी बता दी है। अब कर्मचारी संगठन इस पर विचार कर रहे हैं कि सरकार के इस प्रस्ताव को स्वीकार किया जाए या नहीं।
सरकारी सूत्र बता रहे हैं कि यदि सरकार इस बढ़े वेतनमान को लागू करेगी तो सरकार यह भी अध्ययन कर रही है कि इसका अतिरिक्त बोझ कितना पढ़ेगा। सरकार इस नए वेतनमान का खर्च वहन करने की स्थिति में है या नहीं।
कर्मचारी संगठन मानते हैं कि उनकी सबसे अहम मांग न्यूनतम सैलरी में बढ़ोतरी को लेकर है। लिहाजा इसे लेकर केंद्र के आखिरी फैसले पर सबकी नज़र रहेगी। पहले दौर की बातचीत में कर्मचारी संगठनों ने मुख्य तौर पर दो मांगे सरकार के सामने रखीं हैं। पहली, कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी 7000 से बढ़ाकर 26000 सैलरी की जाए। दूसरी, नई पेंशन व्यवस्था को लेकर उनकी चिंताओं को दूर किया जाए।
सातवें वेतन आयोग द्वारा लगाए गए अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2016-17 में इसकी सभी सिफारिशों पर अमल से अतिरिक्तं वित्तीवय बोझ 1,02,100 करोड़ रुपये का पड़ेगा। इसके अलावा वर्ष 2015-16 के दो महीनों के लिए वेतन एवं पेंशन से जुड़ी बकाया राशि के भुगतान हेतु 12,133 करोड़ रुपये का अतिरिक्तव बोझ वहन करना पड़ेगा।