नई दिल्ली : केन्द्र सरकार के द्वारा 7वें वेतन आयोग (पे कमिशन) के ऐलान के बाद लाखों कर्मचारियों के विरोध का असर अब साफ तौर पर दिखने लगा है। 11 जुलाई को हड़ताल के ऐलान के बाद दबाव में आई केन्द्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के प्रतिनिधियों की मांगों पर उनके साथ बातचीत शुरू कर दी है।
यूनियन नेताओं से जब इस बारे में बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि सरकार से बातचीत जारी है और उन्होंने फिर दोहराया कि सरकार लिखित आश्वासन दे या ऑशियल नोटिफिकेशन जारी करे। अभी गतिरोध बरकरार है, साथ ही इसे खत्म करने की कवायद तेज हो गई है। कर्मचारी नेता का कहना है कि बातचीत पॉजिटिव हुई है। लेकिन उनका कहना है कि बंद कमरे की बातचीत का तब तक भरोसा नहीं किया जा सकता जब तक सरकार सार्वजनिक तौर पर इसे स्वीकार न कर ले। इस मामले पर ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि सरकार ने कहा है कि एक कमेटी गठित होगी जो न्यूनतम सैलरी बढ़ाने की हमारी मांग पर विचार पर तय समय में राय देगी। नेताओं का कहना है कि अगर सरकार न्यूनतम सैलरी बढ़ाने और नई पेंशन व्यवस्था को लेकर उनकी आशंकाओं को दूर करने के लिए लिखित आश्वासन देती है या ऑफिशियल नोटिफिकेशन जारी करती है, तो वो हड़ताल वापस लेने पर विचार कर सकते हैं।
कर्मचारी संगठन मानते हैं कि उनकी सबसे अहम मांग न्यूनतम सैलरी में बढ़ोतरी को लेकर है। लिहाजा इसे लेकर केंद्र के आखिरी फैसले पर सबकी नज़र रहेगी। पहले दौर की बातचीत में कर्मचारी संगठनों ने मुख्य तौर पर दो मांगे सरकार के सामने रखीं हैं। पहली, कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी 7000 से बढ़ाकर 26000 सैलरी की जाए। दूसरी, नई पेंशन व्यवस्था को लेकर उनकी चिंताओं को दूर किया जाए।
बता दें कि वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ 11 जुलाई से हड़ताल के ऐलान के अगले ही दिन वित्तमंत्री अरुण जेटली और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने केन्द्रीय कर्मचारियों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया था। पहले दौर की बातचीत में सरकार ने न्यूनतम सैलरी बढ़ाने की उनकी मांग को एक कमेटी को सौंपने का प्रस्ताव रखा है। सरकार पर अब अगले दस दिनों में फैसला लेना का दबाव रहेगा क्योंकि अभीतक सरकार का इरादा पे कमीशन के जरिए 1 करोड़ कर्मचारियों को फील गुड कराना था, वो हड़ताल और विरोध की वजह से उल्टा पड़ सकता है।
सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया है कि अधिकारियों की एक कमेटी गठित की जाएगी, जो एक तय समय में इस मांग पर पर विचार करेगी। वहीं, सरकार ने साफ कर दिया है कि पेंशन को लेकर भी उनकी चिंताओं को दूर करने की कोशिश की गई है।