मणि सिंह : सासाराम विधानसभा की सीट हॉट सीट बन गई है। बिहार में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, सियासी पारा बढ़ता जा रहा है। 2015 के चुनाव में इस सीट पर राजद के उम्मीदवार डॉ. अशोक कुमार ने भाजपा के उम्मीदवार जवाहर प्रसाद को हराकर जीत दर्ज की थी। लेकिन, इस बार यहां की सियासी हवा बदली सी दिख रही है।
दरअसल, विधायक अशोक कुमार राजद का दामन छोड़कर जदयू में शामिल हो गए हैं। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि सासाराम विधानसभा सीट पर मुकाबला टक्कर देने वाली होगी। बता दें कि रोहतास जिले में सात विधानसभा सीट है, जिसमें से सासाराम एक है।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य की बात करें तो सासाराम विधानसभा सीट पर कांग्रेस पकड़ कुछ खास नहीं है। 63 साल में कांग्रेस सिर्फ दो बार ही अपना विधायक बनाने में सफल हो पाई है। 1962 और 1967 में कांग्रेस के दो विधायक रहे हैं। जबकि प्रजा सोशलिस्ट पार्टी तीन बार जीत हासिल की है।
1990 से ही सासाराम की सीट पर राजद और भाजपा में मुकाबला होता रहा है। 1990 से 2015 तक इस सीट पर राजद को दो बार और बीजेपी को पांच बार जीत मिली है। सबसे अहम बात यह है कि इस सीट पर अशोक कुमार और जवाहर प्रसाद के बीच हमेशा से ही कांटे की टक्कर रही है।
इस बार सासाराम की जनता के सामने कई ऐसे सवाल हैं, जिन्हें केंद्रित कर के जनता प्रतिनिधि चुनने की कोशिश करेगी। हालांकि सबसे बड़ा मुद्दा यहां भी बेरोज़गारी ही है। इसके साथ ही बालू खनन, क्रशर उद्योग और पहाड़ जैसे भी बड़े-बड़े मुद्दे हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार सासाराम में 66.7% ग्रामीण जबकि 33.3% शहरी आबादी है।
बहरहाल, राजद विधायक अशोक कुमार के जदयू में शामिल होने से सासाराम विधानसभा सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। पिछले चुनाव में भी राजद और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला रहा है। ऐसे में इस बार किसके माथे पर जीत का सेहरा बंधेगा यह देखना काफी दिलचस्प रहेगा।