रियो डि जिनेरियो : कांस्य पदक के साथ रियो ओलंपिक में भारत के पदक का सूखा खत्म करने वाली भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि यह उनके 12 सालों की कड़ी मेहनत का नतीजा है.
साक्षी ने ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनने के साथ इतिहास रच दिया और वह ओलंपिक पदक जीतने वाली देश की चौथी महिला खिलाड़ी हैं. इससे पहले भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी (सिडनी 2000), मुक्केबाज एम सी मेरीकाम (2012 लंदन), बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल (लंदन 2012) भारत के लिये ओलंपिक में पदक जीतने वाली महिला खिलाड़ी हैं.
भावुक दिख रहीं साक्षी ने कहा कि मेरी 12 साल की तपस्या लग गयी. मेरी सीनियर गीता दीदी ने पहली बार लंदन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था. उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं भारत के लिए पहलवानी में पदक जीतने वाली पहली महिला पहलवान बनूंगी. मुझे उम्मीद है कि बाकी पहलवान भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे.
हरियाणा की 23 साल की खिलाड़ी ने 2014 के ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल में रजत पदक और 2014 के इंचिओन एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था. उन्होंने आज कांस्य पदक के प्ले ऑफ मुकाबले में नाटकीय वापसी करते हुए किर्गिस्तान की ऐसुलू ताइनीबेकोवा को यहां 8-5 हराया.
भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने साक्षी को गले लगाते हुए कहा कि महिलाओं के वर्ग में हमें भारत के लिए पहला पदक मिला. साक्षी ने करो या मरो के बाउट के पहले पीरियड के बाद 0-5 से पिछड़ने के बाद नाटकीय जीत हासिल की. भारतीय खिलाड़ी ने बाउट के आखिरी क्षणों में किर्गिस्तान की खिलाड़ी को धूल चटा दिया.
साक्षी ने 0-5 से पिछड़ने पर अपने रक्षात्मक खेल को लेकर कहा कि मैंने अंत अंत तक हिम्मत नहीं हारी. मुझे पता था कि मैं अगर आखिरी छह मिनटों तक जमी रही तो जीत जाउंगी. आखिरी राउंड में मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देना था, मुझे खुद पर विश्वास था.
साक्षी को क्वार्टर फाइनल में रूस की वालेरिया कोबलोवा के खिलाफ 2-9 से शिकस्त का सामना करना पड़ा था लेकिन रूस की खिलाड़ी के फाइनल में जगह बनाने के बाद उन्हें रेपेचेज राउंड में खेलने का मौका मिला. उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिए दो-तीन घंटों का इंतजार करना दुखदायी था. मेरे देशवासियों को बधाई, मैं उनकी उम्मीदों पर खरी उतरी.’’ इससे पहले दिन में चार दूसरों बाउट में से तीन की तरह साक्षी ने पिछड़ने के बाद वापसी कर महत्वपूर्ण बाउट जीत ली. वास्तव में किर्गिस्तान की पहलवान ने साक्षी को शुरू में दो अंक दिलाने वाले उनके विजयी दांव को चुनौती दी और उसकी समीक्षा की गयी. लेकिन यह साक्षी के पक्ष में गया और निर्णायकों ने उन्हें एक अतिरिक्त अंक दिया.
भारत ने इस तरह बीजिंग ओलंपिक 2008 से कुश्ती में अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा है और लगातार तीसरे ओलंपिक में कुश्ती में पदक जीतने में सफल रहा. बीजिंग में सुशील कुमार ने भारत के लिए कांस्य पदक जीता था.
सुशील ने इसके बाद लंदन 2012 में अपने कांसे के तमगे को रजत पदक में बदला जबकि योगेश्वर दत्त भी कांस्य पदक हासिल करने में सफल रहे थे. महिला कुश्ती में हालांकि यह भारत का पहला पदक है. कुश्ती में यह भारत का अब तक का पांचवां पदक है. भारत के लिए कुश्ती में पहला पदक के डी जाधव ने जीता था. उन्होंने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था.