लखनऊ : राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ने कानपुर रेल दुर्घटना को रेलमंत्री सुरेश प्रभु और उनके मंत्रालय की घोर लापरवाही का नतीजा करार दिया है. पार्टी ने रेल हादसे में अकाल मृत्यु का शिकार हुए यात्रियों के प्रति शोक प्रकट किया है.
आरएलडी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने कहा कि पुरानी पटरियों की उचित देखभाल नहीं कराई जा रही है और रेल हादसे हो रहे हैं, जिनमें लोग अकाल मृत्यु का ग्रास बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि जांच की महज खानापूर्ति की जाती है और मरने वालों के परिवार को अपर्याप्त मुआवजा देकर छुट्टी पा ली जाती है.
डॉ. अहमद ने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री बुलेट ट्रेन का दिवास्वप्न देख रहे हैं और दूसरी ओर हकीकत यह है कि अपने ही संसाधनों की देखभाल करने की क्षमता नहीं रख पा रहे हैं. प्रधानमंत्री और रेलमंत्री को स्वयं ट्रेन में बैठकर भ्रमण करना चाहिए और संपूर्ण रेलवे मशीनरी का निरीक्षण करना चाहिए. यात्रियों की जान लेने का हक उन्हें नहीं है.
आरएलडी अध्यक्ष ने केंद्र सरकार से मांग की है कि आकस्मिक मृत्यु का शिकार हुए लोगों के परिजनों को दस लाख रुपये तथा घायलों को कम से कम दो लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए, ताकि वे और उनके परिवार के सदस्य इस दुख की घड़ी में कुछ राहत महसूस कर सकें.
नोटबंदी के बाद शुरू हुई तमाम दुश्वारियों को दूर करने के लिए जहां रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया रोज नए-नए नियम ला रही है, वहीं राजनीतिक दल जनता को हो रही परेशानियों के लिए प्रधानमंत्री मोदी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ने भी नोटबंदी को प्रधानमंत्री का जनता के साथ किया गया क्रूर मजाक कहा है.
आरएलडी यूपी के अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री द्वारा अचानक एक हजार और पांच सौ के नोटों पर पाबंदी लगाकर देश की जनता के साथ क्रूर मजाक किया है, क्योंकि देश के किसानों के लिए रबी की फसल की तैयारी करना, आम जनता के समक्ष बच्चों की शादियां तथा गरीब जनता के लिए दो जून की रोटी आदि अहम समस्याएं हैं.
डॉ. अहमद ने कहा कि देश की जनता की सुविधाओं का ध्यान रखना भी मुखिया का कर्तव्य होता है, जिसमें केंद्र सरकार फेल रही है. आम जनता में कालेधन के खिलाफ जनभावना है और निर्णय सम्मान योग्य है, मगर प्रबंधन ऐसा होना चाहिए था कि जनता को असुविधा न होती.
आरएलडी प्रदेश अध्यक्ष ने प्रदेश के समस्त जिलाध्यक्षों को निर्देशित किया है कि वह राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों के माध्यम से भेजे, जिसमें जनता की असुविधाओं के साथ-साथ जन मानस की मांगों का भी जिक्र किया जाए.