नई दिल्ली : कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के पाकिस्तान द्वारा भारत पर लगाये गए आरोपों पर चुटकी लेते हुए केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि उसे घाटी की बजाए पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में ऐसे उल्लंघनों की चिंता करनी चाहिए । वह कश्मीर के मामले में दखलअंदाजी ना करे ।
रिजिजू ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें (पाकिस्तान को) जम्मू कश्मीर की बजाए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन की (अधिक) चिंता करनी चाहिए । कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है। रिजिजू की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब हिजबुल मुजाहिदीन नेता बुरहान वानी के मारे जाने की पृष्ठभूमि में एक दिन पहले ही पाकिस्तान ने भारत पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया था।
गौरतलब है कि इससे पहले के घटनाक्रम में कश्मीर में हिंसा पर ‘चुप्पी साधने’ के लिए विपक्ष की आलोचना झेल रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कश्मीर में हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मौत पर ‘हैरत’ जताते हुए इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ ‘अत्यधिक’ बल प्रयोग की भर्त्सना की है। लंदन से ओपन हार्ट सर्जरी करवाकर लौटे शरीफ ने देर रात बयान जारी कर कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों की कार्रवाई की निंदा की। कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को नजरबंद किए जाने पर चिंता जाहिर करते हुए शरीफ ने कहा कि भारत को अपने मानवाधिकार दायित्व और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्पों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करना चाहिए। सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों के बाद मौत का आंकड़ा 23 तक पहुंच चुका है। बीते शुक्रवार को हिज्बुल के कमांडर वानी की मुठभेड़ में मौत के बाद अलगाववादी प्रायोजित हड़ताल के बाद घाटी में कफ्र्यू जैसे प्रतिबंध लगा दिए गए थे जिसके बाद आज तीसरे दिन भी यहां सामान्य जन-जीवन प्रभावित रहा।
सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाईज उमर फारूक और मोहम्मद यासीन मलिक समेत ज्यादातर अलगाववादी नेताओं को या तो हिरासत में ले लिया गया है या नजरबंद कर दिया गया है। उन्होंने शरीफ पर अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी को ‘‘दोस्ती का प्रमाण पत्र’’ देकर विदेश नीति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया।