Rajpath Desk : राजस्थान में चल रहे सियासी संकट के बादल छंटते नजर आ रहे हैं। दरअसल, राहुल गांधी की युवा ब्रिगेड़ की पहल पर सचिन पायलट की कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ मुलाकात और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सहमति की पूरी पटकथा लिखी गई।
मिली जानकारी के अनुसार सचिन पायलट ने राहुल और प्रियंका से साफ कहा कि उनका कांग्रेस में बने रहने का शुरू से इरादा रहा है, वे पार्टी के साथ हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले डेढ़ साल से जिस तरह से उन्हें और उनके समर्थक मंत्रियों सरकार के फैसलों में दरकिनार कर रहे थे, नाराजगी उसको लेकर थी।
गहलोत पायलट व उनके समर्थक मंत्रियों को दरकिनार कर अधिकारियों के माध्यम से विभागीय निर्णय करते थे। पायलट के एक सबसे विश्वस्त विधायक व कांग्रेस के एक राष्ट्रीय सचिव ने बताया कि सचिन पायलट ने खुद की गांधी परिवार के प्रति वफादारी और प्रदेश में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने को लेकर सिलसिलेवार ब्यौरा राहुल व प्रियंका को दिया। इस बातचीत में तय हुआ कि कांग्रेस आलाकमान पायलट खेमे के विधायकों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेगा।
अगले दो माह में पायलट को संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी सौंपने के साथ ही उनके एक विश्वस्त विधायक को उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। यह भी तय हुआ बताया कि गहलोत द्वारा बर्खास्त किए गए दो पूर्व मंत्रियों के साथ ही एक अन्य विधायक को मंत्रिमंडल में स्थान दिया जाएगा।
राजनीतिक नियुक्तयों व प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी के साथ ही अग्रिम संगठनों में भी पायलट की सलाह को प्राथमिकता दी जाएगी। जानकारी के अनुसार पायलट व गहलोत के बीच समन्वय का काम कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल करेंगे।
राजनीतिक जानकार और कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि राहुल-पायलट की मुलाकात में यह साफ हो चुका है कि कांग्रेस तुरंत मुख्यमंत्री बदलने को राजी नहीं है, क्योंकि इससे गलत संदेश जाएगा। कांग्रेस ने पायलट से कहा है कि एडजस्टमेंट के लिए थोड़ा इंतजार करें।
नए फार्मूले में पायलट के हाथ सीएम का पद आना मुश्किल है, क्योंकि गहलोत खेमा उनके सीएम बनने का विरोध करेगा। ऐसे में अगर मुख्यमंत्री बदला गया तो कोई तीसरा ही बन सकता है। राहुल की युवा ब्रिगेड में शामिल जतिन प्रसाद,भंवर जितेंद्र सिंह,दीपेंद्र हुड्डा व मिलिंद देवड़ा ने पायलट की कांग्रेस आलाकमान से बातचीत में सेतु का काम किया।