नई दिल्ली| भारत के नियंत्रणक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने रेलवे में विद्युतीकरण के लिए प्रक्रिया, कार्यो को सौंपने व उसे पूरा करने में हुए विलंब के लिए रेलवे को जमकर लताड़ लगाई है। सीएजी ने कहा है कि निविदा की प्रक्रिया में समय को कम करने के लिए रेलवे ने ई-निविदा प्रणाली को नहीं अपनाया।
शुक्रवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में सीएजी ने कहा है कि विस्तृत जांच के लिए उसने पूरी हो चुकी 14 परियोजनाओं, 15 जारी परियोजनाओं तथा सात नई परियोजनाओं का ऑडिट किया।
अपनी रिपोर्ट में सीएजी ने कहा, “रेलवे के एक अनुभाग में विद्युतीकरण करना है या नहीं, इसके लिए समय बचाने के उद्देश्य की पूर्ति नहीं की जा रही है, क्योंकि प्रस्तावों की प्रक्रिया तथा संक्षिप्त अनुमान में विलंब किया जा रहा है। 24 परियोजनाओं के लिए 59 महीने का वक्त लगने का अनुमान लगाया गया है।”
केंद्रीय ऑडिटर ने कहा, “कारेपल्ली-भद्राचलम, शकूरबस्ती-रोहतक, झांसी-कानपुर, बरौनी-कटिहार-गुवाहाटी तथा गुनातकाल-कल्लूर की तुलना में परियोजनाओं में भिन्नता 40 फीसदी से अधिक है।”
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में इसका भी जिक्र किया है कि सालाना कार्य कार्यक्रम में विद्युतीकरण परियोजनाओं को शामिल करने के बाद रेलवे बोर्ड ने विद्युतीकरण की परियोजनाओं को एजेंसियों को सौंपने में विलंब किया।
सीएजी के मुताबिक, “सेंट्रल ऑर्गजनाइजेशन फॉर रेलवेज इलेक्ट्रीफिकेशन (सीओआरई) की 17 परियोजनाओं के संदर्भ में 337 दिन तथा रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) की छह परियोजनाओं के संदर्भ में 202 दिनों का विलंब किया गया।”
रिपोर्ट के मुताबिक, “सीओआरई को सौंपी गई 27 परियोजनाओं की निविदा जारी करने के लिए 3,177 दिनों का वक्त लिया गया, जबकि आरवीएनल को सौंपी गई सात परियोजनाओं के लिए 12 निविदाएं जारी करने के लिए 915 दिनों का वक्त लिया गया।”
सीएजी ने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि परियोजना को समय पर पूरा करने को कोई तवज्जो न देते हुए निविदा की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया।