नई दिल्ली : कांग्रेस महासचिव कमल नाथ ने पंजाब कांग्रेस प्रभारी का पद छोड़ दिया है। कमल नाथ के इस्तीफे को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंजूर कर लिया।
खबरों के अनुसार पंजाब चुनाव में विवादों से बचने के लिए आलाकमान ने कमलनाथ को नियुक्ति के चार दिनों के अंदर ही हटाने का निर्णय दिया। राज्य सभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस आलाकमान ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के प्रभारियों को हटाकर नई नियुक्तियां की थी। कमलनाथ को पंजाब का प्रभारी बनाए जाने के बाद आम आदमी पार्टी और अन्य दल कांग्रेस पर सवाल खड़े करने लगे थे। 1984 के सिख दंगों में कमलनाथ की भूमिका को लेकर सवाल उठाने लगे थे।
कमलनाथ ने सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में लिखा कि वे इन आरोपों से आहत हुए हैं, इसलिए पद छोड़ रहे हैं। उन्होंने यह कदम ऐसे समय उठाया जब अकाली दल, भाजपा और आप ने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगों में कमलनाथ की कथित भूमिका को लेकर उन पर तथा कांग्रेस पर हमला साधा। उनकी नियुक्ति को सिखों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा बताते हुए तीनों दल इस नियुक्ति को बड़ा तूल देने की तैयारी में थे।
कमलनाथ ने कहा कि दंगा मामले में वर्ष 2005 तक उनके खिलाफ कोई सार्वजनिक बयान या शिकायत या प्राथमिकी तक नहीं थी और पिछली एनडीए सरकार द्वारा गठित नानावटी आयोग ने उन्हें बाद में दोषमुक्त करार दिया था। उन्होंने सोनिया से कहा कि यह विवाद कुछ नहीं बल्कि चुनावों से पहले लाभ उठाने के लिए सस्ता राजनीतिक प्रयास है। कुछ खास तत्व केवल राजनीतिक लाभ के लिए इन मुद्दों को उठा रहे हैं।
पंजाब का प्रभारी महासचिव नियुक्त किये जाने पर सोनिया का आभार जताते हुए उन्होंने लिखा कि मैं नेहरूवादी राजनीति करने वाला व्यक्ति हूं और झूठे आरोपों से कांग्रेस की छवि खराब करना मेरे के लिए अस्वीकार्य है। मेरी इच्छा है कि पार्टी आगामी चुनावों पर ध्यान केन्द्रित करे और कुशासन, किसानों एवं युवाओं की बदहाली, लचर कानून व्यवस्था और मादक पदार्थों के कारोबार के मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करे क्योंकि इन कारणों से पंजाब की जनता की हालत दयनीय है।
इसके तुरंत बाद पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने एआईसीसी महासचिव के रूप में कमल नाथ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। सुरजेवाला ने कहा कि कमलनाथ ने एआईसीसी में उन्हें दी गई जिम्मेदारियों से अपना इस्तीफा दे दिया। उनके आग्रह पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनका इस्तीफा स्वीकार किया।
कमलनाथ ने सोनिया को लिखे अपने पत्र में कहा कि युवा कांग्रेस से महासचिव और फिर वर्ष 1991 से पार्टी की सरकारों में मंत्री के रूप में उनका कांग्रेस के साथ लंबा करियर रहा है और उनके नाम पर कभी कोई दाग नहीं लगा है। जब मैं दिल्ली का प्रभारी महासचिव था तब यह कोई मुद्दा नहीं था बल्कि हमने उस कार्यकाल में एमसीडी चुनाव जीता था।
उन्होंने कह कि 2005 तक मेरे खिलाफ कोई एक भी सार्वजनिक बयान, शिकायत या प्राथमिकी नहीं थी और पहली बार मेरा नाम 1984 के 21 साल बाद किसी मंच पर सामने आया।पिछली राजग सरकार द्वारा गठित नानावटी आयोग ने उचित जांच के बाद मुझे पूरी तरह से दोषमुक्त किया। बाद में संसद में आयोग की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान सुखबीर सिंह बादल सहित किसी भी अकाली भाजपा सांसद ने मेरे नाम का जिक्र नहीं किया था।