राजकोट : गुजरात के उना में कथित गोहत्या के आरोप में अपने समुदाय के युवकों की बेरहमी से पिटाई के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. कुछ दलित युवकों ने राजकोट में दो जगहों पर सोमवार को आत्महत्या करने की कोशिश की. इसे मुद्दे को लेकर लगातार राजनीति भी गरमा रही है. संसद में भी इस मामले पर काफी हंगामा हुआ था.
गुस्साए लोगों ने राजकोट, जामनगर सहित राज्य के कई इलाकों में तोड़फोड़ और आगजनी की है. बेकाबू भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े. सात दलित युवकों ने राजकोट में दो जगहों पर आत्महत्या करने की कोशिश की. इन सभी सात दलित युवकों का इलाज गोंडल के एक अस्पताल में किया जा रहा है.
दरअसल मामला यह है कि उना में कथित रूप से गाय की हत्या करने का आरोप लगा कर दलित युवकों को सड़कों पर घुमाया गया था और उनपर कोड़े बरसाए गए. मीडिया में खबर आने के बाद सरकार की नींद खुली और स्थानीय पुलिस वालों को भी सस्पेंड किया गया. उत्पीड़न का शिकार हुए दलितों का कहना था कि वे एक मरी हुई गाय का चमड़ा निकाल रहे थे और उन्होंने गाय नहीं मारी थी.
इस बीच, मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने दलित समुदाय के सदस्यों की कथित पिटाई की घटना के सीआईडी जांच के आदेश दिये हैं साथ ही उन्होंने मामले की त्वरित सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत गठित किए जाने की भी घोषणा की. मुख्यमंत्री के आदेशों का जिक्र करते हुए एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि उना दलित पिटाई मामले को सीआईडी (अपराध) को सौंप दिया गया है. मामले की त्वरित सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत का भी गठन किया जाएगा.
सीएम ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए एक विशेष सरकारी वकील नियुक्त किए जाने का भी आदेश दिया जिन्हें 60 दिनों के अंदर आरोपपत्र दाखिल करना होगा. इसके अलावा उन्होंने घोषणा की कि राज्य सरकार इस घटना में घायल दलित युवकों का सारा चिकित्सा खर्च उठाएगी. राज्य सरकार ने पीड़ितों को मुआवजा के तौर पर एक-एक लाख रूपये देने की भी घोषणा की है.