रचना प्रियदर्शिनी : माता-पिता की मदद से जीनू से बनीं प्रिया की कहानी संर्घर्षों की सफलता की कहानी है। कोल्लम के एस एन पब्लिक स्कूल से पढ़ाई के दौरान ट्रांसजेंडर जीनू के मन में अपनी पहचान पाने की जद्दोजहद हावी थी। अपने मन की इसी उधेड़बुन को जीनू ने अपने नोटबुक में शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त किया था।
एक दिन वह नोटबुक जीनू के माता-पिता के हाथ लग गयी, जिसके एक पन्ने पर जीनू ने लिखा था- “यही वो वक्त हैं, जब मुझे अपनी असली पहचान लोगों को बता देना चाहिए।” जीनू के माता-पिता को अपने बेटे के लिए चिंता हुई, लेकिन वे किस तरह से इसका समाधान करे, वो खुद भी यह नहीं समझ पा रहे थे।
जीनू के माता-पिता को लगने लगा कि उसे कोई मानसिक बीमारी है, इसलिए वे उसे किसी मनोचिकित्सक से मिलने की योजना बनाने लगे। जीनू के माता-पिता चाहते थे कि वह एक लड़के की तरह रहे। लड़के की तरह ही बात-विचार और व्यवहार करे, लेकिन जीनू की भावनाएं एक लड़की के समान थीं।
इन्हीं परिस्थितियों के बीच जीनू ने वर्ष 2008 में वैद्य रत्नम आयुर्वेद कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। फिर वर्ष 2012 में कर्नाटक के केवीजी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज, दक्षिणा कन्नड़ से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली। उसके बाद केरल के त्रिशूर जिले के सीताराम आयुर्वेद हॉस्पिटल से जीनू ने अपने मेडिकल करिअर की शुरुआत की।
डॉक्टर बनने के कुछ महीनों बाद जीनू ने अपनी मां से अपनी फीलिंग्स बताते हुए अपना सेक्स चेंजिंग सर्जरी कराने की मांग की। उसकी मां इस सर्जरी के लिए राजी हो गयी। थोड़े ना-नुकर के बाद पिता भी मान गये। जल्दी ही परिवार के अन्य लोगों की सहमति से वर्ष 2018 में जीनू ने कोची के रेनाई मेडिसिटी से हॉर्मोन ट्रीटमेंट लिया।
यह भी पढ़ें… https://www.rajpathnews.com/bihar-transgender-police-%e0%a4%aa%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%bf%e0%a4%b8/
उसके बाद पिछले साल जीनू ने अपनी सेक्स चेंजिंग सर्जरी करवायी और अपना नाम रखा- प्रिया। इस तरह जीनू बनाम प्रिया को केरल की पहली ट्रांसजेंडर डॉक्टर होने का गौरव प्राप्त है। प्रिया को इस बात की खुशी है कि सर्जरी के बाद उन्होंने अपनी पहचान पा ली है।
वह जानती हैं कि उसके पैरेंट्स की तरह अन्य पैरेंट्स भी अपने बच्चे को उसी रूप में स्वीकार करें, जैसा वो है, ताकि वे खुल कर अपनी जिंदगी जी सकें और अपने सपनों को पूरा कर सकें।