नई दिल्ली : हाई स्पीड ट्रेनों की शुरूआत के लिए की जा रही कवायद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि भारतीय रेलवे को सदी में बदलाव के साथ बदलना चाहिए और वित्तीय मजबूती हासिल करने के साथ-साथ ‘नई रफ्तार, प्रगति एवं नई क्षमता’ पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
अलग रेल बजट पेश किए जाने के 92 साल पुराने चलन को खत्म करने का फैसला करने वाली सरकार की अगुवाई कर रहे मोदी ने जोर देकर यह भी कहा कि हर साल की यह कवायद उनके लिए कभी ‘राजनीतिक एजेंडा’ नहीं रही और उन्होंने खुद को ‘राजनीतिक फायदों के प्रेम से मुक्त’ रहने का साहसिक फैसला किया है।
बचपन में रेलवे स्टेशनों पर चाय बेचने की बातें कहने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रेलवे के लिए उनके मन में खास स्नेह है क्योंकि उन्होंने अपने बचपन के काफी दिन रेलवे प्लैटफॉर्मों पर बिताए हैं और देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक परिवहन सेवा को काफी करीब से देखा है।
दिल्ली के बाहरी इलाके सूरजकुंड में आयोजित ‘रेल विकास शिविर’ में रेलकर्मियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि सदी बदल गई है, लिहाजा रेलवे को भी बदलना चाहिए। इसमें नई रफ्तार, प्रगति और नई क्षमता होनी चाहिए।
वर्तमान सदी के प्रौद्योगिकी आधारित होने का जिक्र करते हुए मोदी ने रेलवे को मजबूत बनाने के लिए नवोन्मेष की वकालत की। देश में हाई स्पीड ट्रेनों की शुरूआत की कोशिशों की पृष्ठभूमि में मोदी ने ये बातें कही। इन ट्रेनों के लिए जापान से प्रौद्योगिकी एवं मौद्रिक सहायता ली जा रही है। पहला हाई स्पीड कॉरिडोर अहमदाबाद और मुंबई के बीच बनेगा। इसके लिए निर्माण कार्य 2018 में शुरू होगा।