हैदराबाद। जीएमआर समूह की विमानन एवं विमानतल प्रशिक्षण इकाई जीएमआर विमानन अकादमी ने विमानन और हवाईअड्डा संचालन क्षेत्र में संयुक्त रूप से एक पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा पाठ्यक्रम के लिए सोमवार को राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय (आरजीएनएयू) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
नई दिल्ली में नागरिक विमानन मंत्री गजपति राजू और नागरिक विमानन सचिव राजीव नयन चौबे की उपस्थिति में जीएमआर एयरपोर्ट्स लिमिटेड के पूर्णकालिक निदेशक पी.एस. नायर, आरजीएनएयू के उपकुलपति, वायुसेना के वाइस मार्शल नलिन टंडल द्वारा इस एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
जीएमआर द्वारा यहां एक बयान में कहा गया, विमानन जगत से जुड़ने के अभिलाषी विद्यार्थियों के लिए विमानन एवं हवाईअड्डा संचालन में इस प्रकार का यह पहला पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम है। समझौता ज्ञापन का उद्देश्य विमानन क्षेत्र के पेशेवर अध्ययनों की सुविधा और बढ़ावा देना है और खासकर हवाईअड्डा और विमानन उपक्रमों में संचालनों की गहराई से जानकारी देना है।
एक वर्षीय पाठ्यक्रम में थ्योरी (सिद्धांत) और जीएमआर के हैदराबाद एवं दिल्ली में हवाईअड्डों पर नौकरी के दौरान व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल है।
जीएमआर के पूर्णकालिक निदेशक नायर ने कहा, अनुमान है कि भारत में विमानन जगत को अगले 10 से 15 वर्षो में 10 लाख के आसपास कुशल कर्मियों की जरूरत होगी, जो एक बड़ी चुनौती होगी यदि इतनी पर्याप्त संख्या में लोगों को इस उच्च स्तर की विशेषज्ञता और जटिल क्षेत्र में प्रशिक्षित नहीं किया जाता है।
टंडन ने कहा, भारतीय नागरिक विमानन क्षेत्र इस समय लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि दर से बढ़ रहा है और 2020 तक इसके विश्व में तीसरे सबसे बड़ा बाजार होने की उम्मीद है। इस तरह की सकारात्मकता के साथ, भारत में वैश्विक आपूर्ति श्रृखंला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने की क्षमता है। इसके लिए विमानन क्षेत्र में प्रशिक्षित पेशेवरों की भारी मांग होगी।
नई दिल्ली में नागरिक विमानन मंत्री गजपति राजू और नागरिक विमानन सचिव राजीव नयन चौबे की उपस्थिति में जीएमआर एयरपोर्ट्स लिमिटेड के पूर्णकालिक निदेशक पी.एस. नायर, आरजीएनएयू के उपकुलपति, वायुसेना के वाइस मार्शल नलिन टंडल द्वारा इस एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
जीएमआर द्वारा यहां एक बयान में कहा गया, विमानन जगत से जुड़ने के अभिलाषी विद्यार्थियों के लिए विमानन एवं हवाईअड्डा संचालन में इस प्रकार का यह पहला पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम है। समझौता ज्ञापन का उद्देश्य विमानन क्षेत्र के पेशेवर अध्ययनों की सुविधा और बढ़ावा देना है और खासकर हवाईअड्डा और विमानन उपक्रमों में संचालनों की गहराई से जानकारी देना है।
एक वर्षीय पाठ्यक्रम में थ्योरी (सिद्धांत) और जीएमआर के हैदराबाद एवं दिल्ली में हवाईअड्डों पर नौकरी के दौरान व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल है।
जीएमआर के पूर्णकालिक निदेशक नायर ने कहा, अनुमान है कि भारत में विमानन जगत को अगले 10 से 15 वर्षो में 10 लाख के आसपास कुशल कर्मियों की जरूरत होगी, जो एक बड़ी चुनौती होगी यदि इतनी पर्याप्त संख्या में लोगों को इस उच्च स्तर की विशेषज्ञता और जटिल क्षेत्र में प्रशिक्षित नहीं किया जाता है।
टंडन ने कहा, भारतीय नागरिक विमानन क्षेत्र इस समय लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि दर से बढ़ रहा है और 2020 तक इसके विश्व में तीसरे सबसे बड़ा बाजार होने की उम्मीद है। इस तरह की सकारात्मकता के साथ, भारत में वैश्विक आपूर्ति श्रृखंला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने की क्षमता है। इसके लिए विमानन क्षेत्र में प्रशिक्षित पेशेवरों की भारी मांग होगी।