कराची : पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अध्यक्ष शहरयार खान ने कहा है कि उनके देश को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की प्रतियोगिताओं में भारत के खिलाफ होने वाले मुकाबले से होने वाले लाभ में ज्यादा हिस्सेदारी मिलनी चाहिए. खान का कहना है कि आतंकवादी हमले के बाद अंतर्राष्ट्रीय मैचों की मेजबानी छिनने और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा द्विपक्षीय श्रृंखला से मुंह मोड़ने के कारण आई पैसों की कमी के बाद देश के लिए पैसा एकत्रित करने के साधनों में से यह एक साधन है.
खान ने पीसीबी निदेशकों को संबोधित करता हुआ एक पेपर तैयार किया है. एक न्यूज़ वेबसाइट ने खान के हवाले से लिखा है कि पाकिस्तान आईसीसी प्रतियोगिताओं में भारत के खिलाफ खेलना जारी रखेगा. इससे मिलने वाला रोमांच और पैसा दोनों अलग हैं. ऐडिलेड और कोलकाता में होने वाले विश्व कप के मैचों के टिकट कई और खेलों के मैचों के टिकट से जल्दी बिकते हैं उदाहरण के तौर पर विंबलडन, ओलम्पिक.
खान ने कहा कि भारत-पाकिस्तान मैच से जो कमाई होती है उससे आईसीसी को फायदा होता है. अभी, इससे सभी सदस्यों का फायदा होता है. चैयरमेन इस बात का प्रस्ताव रखते हैं कि इससे होने वाली कमाई में पाकिस्तान को ज्यादा हिस्सा मिलना चाहिए.
खान ने हाल ही में एडिनबर्ग में हुई आईसीसी की वार्षिक कान्फ्रेंस में यह प्रस्ताव रखा था. उन्होंने आईसीसी से अन्य देशों में आयोजित कराए जाने वाले मैचों के लिए मदद की गुहार भी लगाई है.
पेपर में कहा गया है कि इससे पाकिस्तान क्रिकेट पर वित्तीय बोझ बढ़ता है. इसमें मेहमानों के साथ विश्व की सबसे महंगी जगह पर खेलना शामिल है. उदाहरण के तौर पर दुबई, जिसे अभी हाल ही में छुट्टियां बिताने के मामले में सबसे महंगे शहर का दर्जा मिला है.
खान ने कहा है कि दो मेहमान टीम, पाकिस्तान और उसकी विपक्षी टीम, स्कोरर, अंपायर और अन्य अधिकारी, इनका खर्च यूएई में उठाना काफी महंगा है. इसके अलावा मैदान की व्यवस्था करना एक और समस्या है. पाकिस्तान क्रिकेट को लेकर भी काफी परेशानी झेल रहा है. खिलाड़ियों को घरेलू दर्शकों का समर्थन भी नहीं मिलता. इसके अलावा देश की जनता घर में क्रिकेट देखने के लिए तरस रही है. जब जिम्बाब्वे ने पांच एकदिवसीय मैचों के लिए यहां का दौरा किया था तब टिकट मिनटों में बिक गए थे.
गौरतलब है कि 2009 में पाकिस्तान दौरे पर गई श्रीलंका टीम पर वहां हुए आतंकी हमले के बाद देश से अंतर्राष्ट्रीय मैचों की मेजबानी छीन ली गई है. इसी कारण पाकिस्तान को अपने अधिकतर मैच संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में खेलने पड़ते हैं, जिससे बोर्ड पर काफी बोझ पड़ता है. इससे राष्ट्र में खेल के विकास पर भी असर पड़ रहा है.