नई दिल्ली : रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि 33 साल के लंबे इंतजार के बाद भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया ‘तेजस’ बल की महत्वपूर्ण, कम वजन वाले विमान की जरूरतें पूरी करेगा और भारत के मित्र देशों को निर्यात के लिए भी उपलब्ध होगा।
सरकार के स्वामित्व वाली एचएएल ने भारतीय वायु सेना को दो तेजस विमान सौंपे। पर्रिकर ने कहा कि वर्ष 2025 तक वायु सेना में 120 तेजस विमानों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि तेजस को वायु सेना में शामिल करना रक्षा क्षेत्र के लिए ‘मेक इन इंडिया’ के दृष्टिकोण को हकीकत का रूप देने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।’
तेजस को ‘एक खूबसूरत, चौथी पीढ़ी का तीव्र परिवर्तनशील विमान’ बताते हुए पर्रिकर ने कहा कि इसमें ग्लास कॉकपिट है और स्टेट ऑफ द आर्ट उपग्रह की मदद वाली इनर्शियल नेविगेशनल प्रणाली, डिजिटल कंप्यूटर आधारित हमला प्रणाली, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हवा से जमीन पर मार करने वाले हथियार, विशुद्ध निर्देशित जंगी सामान, फ्लाई बाई वायर कंट्रोल के अलावा हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता भी है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज की तारीख तक हल्के वजन वाले विमान की 3,000 से अधिक उड़ानें हुई हैं और इस दौरान एक भी दुर्घटना नहीं हुई। वर्ष 2025 तक वायु सेना में 120 तेजस विमानों को शामिल किया जाएगा। यह बल की महत्वपूर्ण कम वजन वाले लड़ाकू विमान की जरूरत पूरी करेगा और भारत के मित्र देशों को निर्यात के लिए भी उपलब्ध होगा।’
भारतीय वायुसेना की इस वित्त वर्ष में छह विमान और अगले साल लगभग आठ विमान अपने बेड़े में शामिल करने की योजना है। वायुसेना का कहना है कि तेजस अगले साल उसके लडाकू बेड़े में नजर आएगा और उसे अग्रिम ठिकानों पर भी तैनात किया जाएगा। एलसीए वायुसेना में मिग-21 विमानों की जगह लेगा।