संयुक्त राष्ट्र : पाकिस्तान ने आज कहा कि भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र महासभा में उसके ‘आंतरिक मामले’ बलूचिस्तान को उठाना अंतरराष्ट्रीय नियमों का ‘खुला उल्लंघन’ है और कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं, बल्कि ‘अतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य विवाद’ है.
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के कल संयुक्त राष्ट्र की महासभा में संबोधन पर अपने प्रतिक्रिया के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि पाकिस्तान सुषमा स्वराज द्वारा लगाए गए ‘सभी निराधार आरोपों को खारिज करता है.’ साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा था कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा कभी भी नहीं था और कभी भी नहीं होगा.
मलीहा ने कश्मीर को ‘विवादास्पद इलाका बताया जिसकी अंतिम स्थिति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विभिन्न प्रस्तावों के मुताबिक अभी तक तय नहीं की गई है.’
प्रतिक्रिया के अधिकार में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने दावा किया था कि उरी में भारतीय सेना के शिविर पर हुआ हमला और खासतौर पर हमले के लिए चुने गए समय से ‘स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं कि इसे कश्मीर में भारत के ‘अत्याचारों से ध्यान भटकाने’ के लिए अंजाम दिया गया है.
लोधी ने कहा कि कश्मीर में जारी अशांति का दोष पाकिस्तान पर मढ़ने और अपनी बर्बर हरकतों से ध्यान भटकाने के लिए भारत उरी हमले का इस्तेमाल कर रहा है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस बात से भलीभांति अवगत है कि भारत भ्रामक सूचनाओं को फैलाने के अपने सुनियोजित लक्ष्यों को साधने के लिए पहले भी ऐसी घटनाओं को अंजाम दे चुका है.
इसके साथ ही मलीहा लोधी ने भारत पर हमले के लिए ट्वीट का भी सहारा लिया. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की ओर से महासभा के 71वें सत्र को संबोधित करने के बाद संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने ट्वीट किया कि भारतीय विदेश मंत्री का भाषण झूठ और निराधार आरोपों का पुलिंदा है. सबसे बड़ा झूठ यह कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. कश्मीर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य विवाद है. यह संयुक्त राष्ट्र के एजेंडा में सबसे पुराना विषय है. पूरी दुनिया इसे स्वीकार करती है.
एक अन्य ट्वीट में मलीहा ने कहा कि पाकिस्तन के ‘आंतरिक मामले’ बलूचिस्तान को उठाना संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय नियमों का ‘खुला उल्लंघन’ है. उन्होंने कहा कि यह सच्चाई नहीं है कि भारत ने पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए कोई शर्त नहीं रखी.