नई दिल्ली : भले ही पकिस्तान भारत के खिलाफ जहर उगलता हो, लेकिन कपडे भारतीय कपास का बना हुआ ही पहनता है । भारत के साथ बढ़ती कड़वाहड के बाबजूद पाकिस्तान हमारी कपास का सबसे बड़ा खरीदार बनकर उभरा है। व्यापार और उद्योग अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान ने भारत से 25 लाख गांठ (1 गांठ यानी 170 किलो) कॉटन खरीदा है। यह मात्रा 2015-16 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में भारत द्वारा निर्यात कुल कॉटन का करीब 40 प्रतिशत है। 2015-16 सीजन में भारत अब तक 65 लाख गांठ कॉटन निर्यात कर चुका है।
इंडियन कॉटन फेडरेशन (आईसीएफ) के प्रेजिडेंट जे तुलसीधरन ने कहा कि पाकिस्तान हमारे कॉटन का बहुत बड़ा आयातक बन गया है। इसका बड़ा असर हुआ है।’ वहीं, आईसीएफ के सेक्रटरी अतुल जे अशर का कहना है कि पाकिस्तान में कीटों के हमले से उत्पादन में भारी गिरावट आई है। इसलिए, उन्होंने भारत से कॉटन आयात किया है।
2015-16 सीजन में पाकिस्तान में कपास की पैदावार में 35 प्रतिशत की कमी का अनुमान है जो करीब 97 लाख गांठ के आसपास पड़ता है। पाकिस्तान अक्सर सालना करीब 12 लाख गांठ आयात किया करता था। भारत दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है। कॉटन अडवाइजरी बोर्ड (सीएबी) के मुताबिक 2015-16 सीजन में 338 लाख गांठ का उत्पादन हुआ है। इंडस्ट्री के अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान ने भारत से कपास तब खरीदी जब इसकी कीमत करीब 34,000 रुपये प्रति कैंडी है। वहीं, कपड़ा मिलें अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया से ज्यादा दाम पर कॉटन मंगवा रही हैं।
चूंकि घरेलू कपास के दाम अतंरराष्ट्रीय कीमतों से ज्यादा हो गए, इसलिए इलाके की जो कपड़ा मिलें अफ्रीका से सामान मंगवाया करती थीं, उन्होंने अब ऑस्ट्रेलिया से आयात करना शुरू कर दिया है। घरेलू कॉटन की लागत करीब 50,000 प्रति कैंडी होती है जबकि ऑस्ट्रेलियाई कॉटन करीब 48,000 रुपये प्रति कैंडी की दर से उपलब्ध हो जाता है। इलाके की एक बड़ी कपड़ा मिल ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया से 50,000 गांठ कॉटन मंगवाया है।
गौरतलब है कि पहले चीन भारतीय कपास का सबसे बड़ा खरीदार होता था। लेकिन, अब उसने कपास का बड़ा भंडार तैयार कर लिया और आयात में बड़े पैमाने पर कटौती कर दी। 2013-14 सीजन में चीन ने भारत से करीब 80 लाख गांठ कपास खरीदी थी। लेकिन, अगले ही सीजन में इसमें आधी की कटौती हो गई। 2014-15 में भारत ने 58 लाख गांठ कपास का निर्यात किया था।