रचना प्रियदर्शिनी : अब बिहार में ट्रांसजेंडर यानि किन्नर समुदाय के लोगों को बिहार पुलिस सेवा में सीधी भर्ती का लाभ मिलेगा। इनके लिए पद भी रिजर्व रखे जायेंगे। गत शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश सरकार ने इस फैसले पर मुहर लगा दी। इससे अब पुलिस सेवा में ट्रांसजेंडर की बहाली का रास्ता साफ हो गया है।
अब कॉन्सटेबल और सब-इंस्पेक्टर के पदों पर ट्रांसजेंडरों की सीधी नियुक्ति की जायेगी। हालांकि पुलिस की वर्दी पाने के लिए ट्रांसजेंडर्स के लिए भी लिखित और शारीरिक परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा। संकल्प पत्र के अनुसार सिपाही और दारोगा के पद पर भविष्य में होने वाली नियुक्ति में ट्रांसजेंडर के लिए पद आरक्षित होंगे।
सिपाही संवर्ग के लिए नियुक्ति का अधिकार पुलिस अधीक्षक या एसपी को होगा। जबकि सब-इंस्पेक्टर पद के लिए नियुक्ति का अधिकार पुलिस उपमहानिरीक्षक या डीआइजी स्तर के पदाधिकारी के पास होगा। दोनों ही संवर्ग में प्रत्येक 500 विज्ञापित पदों पर एक पद किन्नर समुदाय के लिए आरक्षित रहेगा। ट्रांसजेंडर के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा के मापदंड महिलाओं वाले होंगे।
बता दें कि पटना की ट्रांसवुमेन और सोशल एक्टिविस्ट वीरा यादव ने दिसंबर 2020 में पटना हाइकोर्ट में एक पीटिशन दाखिल करते हुए यह मांग की थी कि राज्य सरकार की नौकरियों में पुरुष तथा महिला कॉलम के अलावा ‘ट्रांसजेंडर’ कॉलम को भी शामिल किया जाना चाहिए।
वीरा यादव की मानें तो- ”राज्य सरकार ने वर्ष 2015 पटना विश्वविद्यालय के एडमिशन फॉर्म्स में ‘थर्ड जेंडर’ के कॉलम को जगह दी, लेकिन बिडंवना यह है कि अब तक राज्य सरकार के किसी भी विभागीय नियुक्ति के आवेदन में अलग ‘थर्ड जेंडर’ का कॉलम शामिल नहीं है। ऐसे में पढ़ाई पूरी करने के बावजूद राज्य के ट्रांसजेंडर्स सरकारी नौकरी से वंचित रह जाते हैं। इसका एक जीता-जागता उदाहरण मैं खुद हूं। मैंने वर्ष 2016 पटना यूनिवर्सिटी से समाज कार्य में एमए (MSW) किया है, लेकिन अब तक मुझे जॉब नहीं मिला है।”
वह आगे कहती हैं- ”फिलहाल ट्रांसजेंडर्स के चयन की कसौटी महिला अभ्यर्थियों के आसपास ही रखी गयी है, जबकि उनके लिए क्राइटेरिया थोड़ा अलग होना चाहिए, क्योंकि कई ट्रांसजेंडर्स ने सेक्स चेंज करवा रखा है। ऐसे में उन्हें हाइ जंप, लॉन्ग जंप जैसी शारीरिक दक्षता परीक्षाओं में परेशानी हो सकती है।” खैर, फिलहाल वीरा को इस बात की खुशी है कि कम-से-कम कुछ नहीं से कुछ तो बेहतर ही है। उन्हें उम्मीद है कि आगे उन्हें इस दिशा में भी सफलता जरूर मिलेगी।
पूर्व में किन्नरों द्वारा ट्रांस बटालियन बनाने की मांग की गयी थी, लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि पुलिस सेवा में एक बटालियन में 1000 सिपाहियों की नियुक्ति होती है, लेकिन इतनी संख्या में आरक्षित पदों की कसौटियों के अनुरूप ट्रांसजेंडर्स शायद ही मिल पायेंगे. ऐसे में चयन कसौटी को थोड़ा लचीला बनाने की जरूरत है।