नई दिल्ली : केन्द्रीय शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह ऐलान किया है कि अब आईआईएम से पढ़ाई करने वाले छात्रों को डिप्लोमा की जगह डिग्री मिलेगी. सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में इस बिल को पास करवाने के तैयारी में है. जिसके बाद आईआईएम से पढ़कर निकलने वालों को मैनेजमेंट में डिग्री का सर्टिफिकेट मिलेगा.
आज केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने आईआईएम अहमदाबाद में वहां के शिक्षकों के साथ बैठक की है. इसी सिलसिले में 20 सिंतबर को आईआईएस शिलांग में देशभर के सभी आईआईएम के डॉयरेक्टर की भी बैठक होने वाली है. इस बैठक की अध्यक्षता खुद केन्द्रीय शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर करेंगे.
इस बिल के मुताबिक सभी आईआईएम के बीच एक कॉर्डिनेशन फोरम बनेगा. लेकिन इस फोरम के पास फैसले लेने की पावर नहीं होगी. यह फोरम महज चर्चा कर सुझाव दे सकता है.
आईआईएम के विजिटर भारत के प्रेजिंडेट होंगे और उनके पास आईआईएम चेयरपर्सन और डायरेक्टर नियुक्त करने का अधिकार होगा. विजिटर के पास यह पावर नहीं होगी कि वह किसी भी आईआईएम के कार्यो को रिव्यू कर सकें.
बिल के ड्राफ्ट के मुताबिक कॉर्डिनेशन फोरम का हेड मेंबर सेक्रेटरी होगा, जो सरकार में ज्वाइंट स्क्रेटरी लेवल का कोई अधिकारी होगा. इसमें सभी आईआईएम के डायरेक्टर मेंबर होंगे. साथ ही राज्यों के सेक्रेटरी भी प्रतिनिधि होंगे इसके अलावा कुछ एक्सपर्ट्स भी कॉर्डिनेशन फोरम में मेंबर होंगे.
सूत्रों के मुताबिक, फाइनल बिल ड्राफ्ट में फीस तय करने का अधिकार आईआईएम के पास ही रखा गया है. आईआईएम बोर्ड ही फीस तय करेगा. फीस बढ़ाने का फैसला भी बोर्ड ही लेगा.
अभी आईआईएम मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा देते हैं, जिसे एमबीए के बराबर माना जाता है. इसी तरह आईआईएम की फैलोशिप को पीएचडी के बराबर माना जाता है. दरअसल भारत में तो इसे लेकर कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जब स्टूडेंट्स को पढ़ाई के लिए या नौकरी के लिए बाहर के देशों में जाना होता है तो खासकर यूरोपियन देशों में दिक्कत होती है. उनकी फैलोशिप को वहां पीएचडी के बराबर नहीं मानते. आईआईएम बिल पास हो जाने के बाद आईआईएम अपने स्टूडेंट्स को डिग्री दे सकेंगे.