लखनऊ : उत्तर प्रदेश में साल 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में ईवीएम मशीन पर कैंडिडेट्स के चुनाव चिन्ह नहीं, बल्कि फोटो लगी होंगी. निर्वाचन आयोग ने पहली बार चुनाव चिन्हों का दुरुपयोग रोकने के लिए कोड ऑर्डर जारी किया है.
आयोग के आदेशानुसार, इस बार चुनाव में ईवीएम पर कैंडिडेट्स के चुनाव चिन्ह के स्थान पर उनकी फोटो लगी होगी. वोटिंग मशीन में लगी फोटो पर ही मतदाता वोट करेंगे. साथ ही चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की फोटो लगे पोस्टरों पर चुनाव चिन्ह होना भी इसका दुरुपयोग माना जाएगा. अगर किसी भी पार्टी का कैंडिडेट आयोग के आदेश का उल्लंघन करता है, उसका चुनाव चिन्ह जब्त कर लिया जाएगा.
आपको बता दें कि पिछले कई सालों से निर्वाचन आयोग में निर्दलीय कैंडिडेट, संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता और दूसरे लोगों के द्वारा ईवीएम से सत्ताधारी पार्टियों और दूसरी पार्टियों के कैंडिडेट्स के चुनाव चिन्ह हटाने की मांग की जा रही थी. इस पर आयोग ने लंबे समय तक विचार करने के बाद ऐतिहासिक फैसला लेते हुए ईवीएम पर चुनाव चिन्ह न लगाने का आदेश जारी किया है.
गौरतलब है कि अब तक लोग अपने वाहनों में चुनावचिह्न् लगाकर घूमते थे. खुद की सरकार बताकर आम जनता के बीच राजनीति करते थे. चुनाव चिन्ह का सबसे अधिक खामियाजा निर्दलीय कैंडिडेट्स को भुगतना पड़ता था. उन्हें एक निश्चित समय के भीतर चुनाव चिन्ह आवंटित किया जाता था, जिससे प्रचार का ज्यादा मौका नहीं मिल पाता था.
वोटिंग मशीन से चुनाव चिन्ह हटाने की मांग को लेकर संघर्षरत लोकतंत्र मुक्ति आंदोलन के संयोजक प्रताप चंद्रा ने खास बातचीत में बताया कि सत्ताधारी पार्टियों द्वारा चुनाव चिन्ह का दुरुपयोग किया जाता रहा है. लगभग 30 हजार आजाद प्रत्यशियों ने भी चुनाव चिन्ह हटाने की अपील पोस्टकार्ड भेजकर कर चुके हैं. निर्वाचन आयोग ने सभी राज्यों में ईवीएम से चुनाव चिन्ह हटाने का आश्वासन दिया है.
सत्ताधारी पार्टियों को चुनाव आयोग ने जोर का झटका धीरे से देते हुए यह अहसास करा दिया है कि अब सरकार बनाने के लिए स्वयं तो काम करना ही होगा, उनके कैंडिडेट्स को भी अपने-अपने क्षेत्रों में मेहनत और लगन से विकास कार्य करने होंगे.