नई दिल्ली : नोट बंदी का ऐलान मानो दिल्ली के बदमाशों के लिए किसी सर्जिकल स्ट्राइक से कम नजर नहीं रहा है. आलम ये है कि दिल्ली की सड़कों पर होने वाले अपराधों में इस कदर कमी आई है कि पुलिस भी हैरान हो गई है.
पीछे एक हफ्ते की बात करें तो नोट बंद होने के बाद से ही दिल्ली में अब तक बड़ी लूटपाट और झपटमारी की घटना सामने नहीं आई है. ऐसा माना जा रहा है क्राइम के इस ग्राफ का गिरना नोट बंदी का एक असर है जो पूरी दिल्ली में देखने को मिल रहा है.
नोटबंदी के ऐलान से पहले के हफ्ते की तुलना अगर नोटबंदी के ऐलान के बाद के हफ्ते से करें तो 1 नवम्बर 2016 से 7 नवम्बर की तुलना में 09 नवम्बर से 15 नवम्बर तक क्राइम का आकड़ो में गिरावट दर्ज की गई है.
1 नवम्बर से 7 नवम्बर तक दिल्ली में हत्या की कोशिश के 16 मामले आए थे, जबकि उगाही के 5 मामले दर्ज किए गए हैं, सनेचिंग के 170, घर में चोरी के 273 , सेंध मारी के 263 और गाड़ी चोरी के 712 मामले दर्ज किए गए.
09 नवम्बर से 15 नवम्बर तक दिल्ली में हत्या की कोशिश के 6 मामले आए थे जबकि उगाही का कोई मामले दर्ज नही हुआ है, सनेचिंग के 144, घर में चोरी के 209 , सेंध मारी के 20 और गाड़ी चोरी के 609 मामले दर्ज किए गए हैं. यही नहीं अगर इन सभी मामलों की तुलना पिछले साल 2015 से करें तो अपराधो में रिकार्ड तोड़ गिरावट दर्ज की गई है. साल 2015 में 9 नवम्बर से 15 नवम्बर तक दिल्ली में क्राइम के मामलों की भरमार थी.
हत्या के 13 मामले, हत्या की कोशिश के 20, लूटपाट के 146 , सनेंचिग के 166, सेंधमारी के 249 और घरों में चोरी के 242 केस दर्ज किए गए थे. वहीं कुल जघ्नय अपराध के 205 मामले दर्ज किए गए थे. प्रधानमंत्री के नोटबंदी के ऐलान के बाद इन सभी मामलो में से कुछ तो ऐसे है जो आधे से भी कम देखे गए हैं तो वहीं कुछ में गिरावट दर्ज की गई है.
09 नवम्बर 2016 से 15 नवम्बर 2016 में हत्या के 8 , हत्या की कोशिश के 6, लूटपाट के 67 , सनेंचिग के 144, सेंधमारी के 207, घरो में चोरी के 209 केस दर्ज किए गए थे. कुल जघ्नय अपराध के 112 मामले पूरी दिल्ली में दर्ज किए गए है जो कि साल 2015 के मुकाबले करीब आधा है.
दिल्ली में कुल 11 जिले हैं. इन जिलों में पहले रोजाना दर्जनों की संख्या में नकदी लूटपाट और झपटमारी की घटनाएं सामने आती थीं, लेकिन कुछ दिनों से इस प्रकार की कोई बड़ी वारदात सामने नहीं आई है. पुलिस के मुताबिक, अभी तक लोगों के पास पुराने नोट हैं. शायद यही वजह है कि लूटपाट की वारदातों में कमी आई है. बहरहाल वजह चाहे जो भी हो पर कम हुए इन अपराधों ने दिल्ली वालों को एक बड़ी राहत जरूर दी है.