नई दिल्ली : कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मुस्लिमों में तीन तलाक के विरोध के पीछे या समान नागरिक संहिता लागू करने का सरकार का कोई गुप्त एजेंडा नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने धार्मिक संगठनों और विपक्षी दलों के आरोपों को निराधार बताते हुए उन्हें खारिज कर दिया।
उन्होंने जोर दिया कि भारत धर्म तथा पंथ की स्वतंत्रता का सम्मान करता है लेकिन इससे जुड़े ‘अनुचित या भेदभावपूर्ण’ प्रथाएं इससे जुड़ी नहीं रह सकतीं और न उनकी रक्षा की जानी चाहिए। प्रसाद ने एक साक्षात्कार में कहा कि यह आशंका कि हम समान नागरिक संहिता ला रहे हैं या कोई एजेंडा है, पूरी तरह से निराधार है। दोनों को आपस में जोड़े जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। विधि आयोग इस पर गौर कर रहा है और सभी पक्षों द्वारा व्यापक विचार विमर्श संभव होने दें।
उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता का विरोध करने वाले लोगों को यह विधि आयोग को बताना चाहिए जिसने इस मुद्दे पर लोगों से राय मांगी है। प्रसाद ने कहा कि अपना विरोध भी बताइए। लेकिन अभी सरकार को कुछ नहीं कहना है। विधि आयोग को गौर करने दें। कोई गुप्त एजेंडा की पूरी चर्चा ऐसी है जिसका मैं अपने पूरे अधिकार से इंकार करता हूं।
प्रसाद ने ‘छुआछूत’ के चलन का जिक्र करते हुए जोर दिया कि धार्मिक चलनों के संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप होने की आवश्यकता है। उन्होंने जोर दिया कि ‘लैंगिक न्याय, लैंगिक समानता और लैंगिक गरिमा’ नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिकता के मूल में हैं। उन्होंने कहा, ‘हम धर्म की स्वतंत्रता और पंथ की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं जिनकी मौलिक अधिकारों के द्वारा रक्षा होती है। लेकिन हर अनुचित या भेदभावपूर्ण प्रथाएं पंथ के साथ जुड़ी नहीं रह सकतीं।
उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, क्या कोई यह दावा कर सकता है कि दलितों के खिलाफ छुआछूत मेरे पंथ से आता है और मैं इसका पालन कर सकता हूं। इसलिए धार्मिक प्रथाओं को भी संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप होना चाहिए। तीन तलाक के मुद्दे पर पूछे गए सवालों के जवाब में वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि खास धर्म से होने के कारण महिलाओं का एक समूह अपना अधिकार नहीं गंवा सकता।
उन्होंने सवाल किया कि क्या भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में महिलाओं के एक बड़े हिस्से को सिर्फ इस आधार पर संवेदनशील स्थिति में रहने के लिए बाध्य कर दिया जाये कि वह एक खास धर्म से हैं। प्रसाद ने कहा कि संविधान लागू होने के दिन से ही लैंगिक समानता निहित है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की अधिकारिता तथा विकास सरकार की प्राथमिकताओं में हैं।