नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में चारों दोषियों के डेथ वारंट पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर शुक्रवार को आदेश सुरक्षित रख लिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेद्र राणा ने दोषियों के वकील- ए.पी. सिंह और वृंदा ग्रोवर द्वारा पेश किए गए दो आवेदनों पर अपना आदेश सुरक्षित रखा।
सुनवाई के दौरान सिंह ने कहा कि एक दोषी विनय कुमार की ओर से दया याचिका दायर की गई है। आगे कहा गया कि पवन की ओर से, एक समीक्षा याचिका भी दायर की गई है, और दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष एक आपराधिक अपील लंबित है। याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि गुरुवार को शीर्ष अदालत द्वारा अक्षय की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी गई थी।
यह तर्क दिया जाता है कि यदि वारंट पर रोक नहीं लगाई गई तो उपचार निष्फल हो जाएंगे। सिंह ने कहा कि उन्होंने दिल्ली जेल नियम का हवाला दिया है। मुकेश की ओर से वृंद ग्रोवर ने एक और अर्जी लगाकर सजा पर रोक लगाने की मांग की। मुकेश की ओर से यह दावा किया गया कि वह ईमानदारी से बिना किसी देरी के कानूनी उपायों का पालन कर रहा है।
उसने जेल के नियम संख्या 868 का हवाला देते हुए कहा कि चूंकि सभी दोषियों को एक ही अदालत ने एक ही अपराध का दोषी पाया है, इसलिए सजा अलग-अलग नहीं दी जा सकती है।
साथ ही उन्होंने शीर्ष न्यायालय के फैसले का भी हवाला दिया और बहस की कि यदि भारत के राष्ट्रपति द्वारा समान रूप से दोषी ठहराए जाने वाले अन्य दोषी की दया याचिका को अनुकूल माना जाता है तो इससे मुकेश के लिए भी न्याय का मार्ग प्रभावित होगा। उन्होंने याकूब मामले को भी उजागर किया।
उन्होंने कहा कि मुकेश को अभी सजा नहीं दी जा सकती, क्योंकि वह ईमानदारी से कानूनी उपाय अपना रहा है। वहीं पीड़िता के वकील ने कहा कि इसमें दोषी न्याय की गति को विफल करने के लिए विलंब की रणनीति अपना रहे हैं।